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________________ श्रीराजमश्नी मलयगिरी या वृत्तिः ॥१७॥ पुस्तक रत्न | वाचन जिनपतिमा पूजादि सू०४४ सभा सुहम्मा तेणेव उवागच्छति २त्ता सभं सुहम्म पुरथिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसइ २त्ता जे. व माणवए चेइयखंभे जेणेव वइरामए गोलवदृसमुग्गे तेणेव उवागच्छह उवागच्छइत्ता लोमहत्थगं परामुसइ२ वइरामए गोलवद्दसमुग्गए लोमहत्थेणं पनजइ २ वइरामए गोलवद्दसमुग्गए विहाडेइ २ जिणसगहाओ लोमहत्थेणं पमज्जइ २त्ता सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेइ पक्खालित्ता अग्गेहिं वरेहि गधेहि य मल्लेहि य अच्चेइ धूवं दलयइ २ ता जिणसकहाओ वइरामएसु गोलवसमुग्गएसु पडिनिक्खिवइ माणवगं चेइयखंभं लोमहत्थएणं पमज्जइ दिदाए दगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयइ, पुप्फारुहणं जाव धृवं दलयइ, जेणेव सीहासणे तं चेय, जेणेव देवसयणिज्जे तं चेव, जेणेव खुडागमहिंदज्झए तं चेव, जेगेव पहरणकोसे चोप्पालए तेणेव उवागच्छर त्ता लोमहत्थगं परामुसइ २ ता पहरणकोसं चोप्पालं लोमहत्थएणं पमज्जइ २त्ता दिवाए दगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं चचा दलेइ पुकारुहणं आसत्तोसत्त जाव धूवं दलयइ, जे गेय सभाए सुहम्माए बहुमज्झदेसभाए जेणेव मणिपेढिया जेणेव देवसयणिज्जे तेणेव उवागच्छह २त्ता लोमहत्थगं परामुसइ देवसयणिज्जं च मणिपेढियं च लोमहत्थएणं पमज्जइजाव धूवं दलयइ २ त्ता जेणेव उववायसभाए दाहिणिल्ले दारे तहेव अभिसेयसभासरिसंजाव पुरथिमिल्ला गंदा पुक्खरिणी जेणेव हरए तेणेव उवागच्छइ२त्ता तोरणे य तिसोवाणे य सालिभंजियाओ य वालरूवए य तहेव,जेणेव. । १०७॥ Jain Education Inmlod For Personal & Private Use Only Pramiljalnelibrary.org
SR No.600237
Book TitleRajprashniyasutram
Original Sutra AuthorMalaygiri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1925
Total Pages302
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size6 MB
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