SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 237
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ %3A% 2 चक्खुस्स रूवं गहणं वयंति, तं रागहेउं तु मणुन्नमाहु । तं दोसहेडं अमणुन्नमाहु, समो अ जो तेसु स वीयरागो ॥२२॥ रूवस्स चक्खं गहणं वयंति, चक्खुस्स रूवं गहणं वयंति । रागस्स हेउं समणुन्नमाहु, है दोसस्स हेउं अमणुन्नमाहु ॥ २३ ॥ रूवेसु जो गिद्धिमुवेइ तिब्वं, अकालियं पावइ सो विणासं । रागा | उरे से जहवा पयंगे, आलोअलोले समुवेइ मच्चु ॥२४॥ जे यावि दोसं समुवेइ तिब्वं, तंसि क्खणे से उ उवेइ ६ दुक्खं । दुइंतदोसेण सएण जंतू, न किंचि रूवं अवरज्झई से ॥ २५॥ एगतरत्तो रुइरंसि रूवे, अतालिसे| से कुणई पओसं । दुक्खस्स संपीलमुवेइ बाले, न लिप्पई तेण मुणी विरागे ॥ २६ ॥ रूवाणुगासाणुगए य जीवे, चराचरेहिं सयणेगरूवे । चित्तेहिं ते परियावेइ बाले, पीलेइ अत्तगुरू किलितु ॥ २७॥ रूवाणुवाएण परिग्गहेण, उप्पायणे रक्खणसंनिओगे । वए विओगे य कहं सुहं से, संभोगकाले य अतित्तलाभे? ॥२८॥ रूवे अतित्ते अपरिग्गहंमि, सत्तोवसत्तो न उवेइ तुहिं । अतुढिदोसेण दुही परस्स, लोभाविले आययई अदत्तं ॥ २९ ॥ तण्हाभिभूयस्स अदत्तहारिणो, रूवे अतित्तस्स परिग्गहे य । मायामुसं वड्डइ लोभदोसा, तत्थावि दुक्खा न विमुच्चई से ॥३०॥ मोसस्स पच्छा य परत्यओ य, पओगकाले य दुही दुरंते । एवं अदत्ताणि समायअंतो, रूवे अतित्तो दुहिओ अणिस्सो॥३१॥ रूवाणुरत्तस्स नरस्स एवं, कत्तो सुहं हुन्ज कयाइ किंचि। तत्थोवभोगेऽवि किलेसदुक्खं, निव्वत्तई जस्स कएण दुक्खं ॥३२॥ एमेव रूवंमि गओ पओसं, उवेइ दुक्खोहपरंपराओ। पदुद्दचित्तो अ चिणाइ कम्म, जं से पुणो होइ दुहं त अतुहिदोसेण दुही परस्स, लो , तत्थावि दुक्खा - भूभ्यस्स अदत्तहारिणो, स्व 5AR) dain Education Internationa For Personal & Private Use Only www.janelibrary.org
SR No.600236
Book TitleUttaradhyayansutram Part 03
Original Sutra AuthorVadivetal, Shantisuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1917
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy