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________________ Jain Education य निम्ममे । चित्तउत्ते समाही य, आगमिस्सेण होक्खई ॥ ७४ ॥ संवरे अणियट्टी य, विजए विमलेति य । देवोववाए अरहा, अणंतविजए इय ॥ ७५ ॥ एए बुत्ता चउव्वीसं भरहे वासम्मि केवली । आगमिस्सेण होक्खंति, धम्मतित्थस्स देसगा ॥ ७६ ॥ एएसि णं चवीसाए तित्थकराणं पुव्वभविया चउव्वीसं नामधेजा भविस्संति, तंजहा - सेणिय सुपास उदए पोट्टिल्ल अणगार तह दढाऊ य । कत्तिय संखे य तहा नंद सुनंदे य सतए य ॥ ७७ ॥ बोद्धव्वा देवई य सञ्चइ तह वासुदेव बलदेवे । रोहिणि सुलसा चैव तत्तो खलु रेवई चेव ॥ ७८ ॥ ततो हवइ सयाली बोद्धव्वे खलु तहा भयाली य । दीवायणे य कण्हे तत्तो खलु नारए चैव ॥ ७९ ॥ अंबड दारुमडे य साई बुद्धे य होइ बोद्धव्वे । भावी तित्थगराणं णामाई पुब्वभवियाई ॥ ८० ॥ एएसि णं चउव्वीसाए तित्थगराणं चउव्वीसं पियरो भविस्संति चउव्वीसं मायरो भविस्संति चउव्वीसं पढमसीसा भविस्संति चउव्वीसं पढमसिस्सणीओ भविस्संति चउव्वीसं पढमभिक्खादायगा भविस्संति चउव्वीसं चेइयरुक्खा भविस्संति, जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए बारस चक्कवट्टिणो भविस्संति, तंजहा - भरहे य दीहदंते गूढदंते य सुद्धदंतेय । सिरिउत्ते सिरिभूई सिरिसोमे य सत्तमे ॥८१॥ पउमे य महापउमे विमलवाहणे ( लेतह) विपुलवाहणे चैव । वरिट्ठे बारसमे बुत्ते आगमिसा भरहाहिवा ॥ ८२ ॥ एएसि णं बारसहं चक्कवट्टीणं बारस पियरो भविस्संति, बारस मायरो भविस्संति, बारस इत्थीरयणा भविस्संति, जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए नव बलदेववासुदेवपियरो भविस्संति, नववासुदेवमायरो भविस्संति, नव चलदेवमायरो भविस्संति, नव दसारमंडला भविस्संति, तंजा - उत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी तेयंसी एवं सो चैव वण्णओ भाणियव्वो जाव नीलगपीतगवसणा दुवे दुवे रामकेसवा भायरो भविस्संति, तंजहा - नंदे य नंदमिते दीहबाहू तहा For Personal & Private Use Only ainelibrary.org
SR No.600227
Book TitleSamvayangasutram
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size6 MB
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