SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 361
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ माइं पुवकोडीपुहुत्तमभहियाइं ७, सो चेव जहन्नकालहितिएसु उवव० एस चेव वत्तवया नवरं कालादेसेणं जहन्नेणं पुवकोडी अंतोमुहत्तमभहिया उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीओ चउहिं अंतोमुहत्तेहिं अब्भहियाओ८, सो चेव उक्कोसकालहितिएसु उववन्नो जहन्नेणं तिपलिओवमहिती उक्कोसे० तिपलिओवमट्टि० अवसेसं तं चेव नवरं परिमाणं ओगाहणा य जहा एयरसेव तइयगमए, भवादेसेणं दो भवग्गहणाइं कालादे० जह० तिन्नि पलिओवमाई पुवकोडीए अब्भहियाइं उक्कोसे० तिन्नि पलिओवमाइं पुवकोडीए अभहियाई एवतियं ९॥ | जइ मणुस्सेहिंतो उववजंति किं सन्निमणु० असन्निमणु०१, गोयमा ! सन्निमणु० असन्निमणु०, असन्निम-131 गुस्से णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्ख० उवव० से णं भंते ! केवतिकाल.?, गोयमा ! जह० अंतोमु० उक्को पुचको आउएसु उववजंति लद्धी से तिसुवि गमएसु जहा पुढविकाइएसु उववजमाणस्स संवेहो जहा || एत्थ चेव असन्निपंचिंदियस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु तहेव निरवसेसो भाणियबो, जइ सन्निमणुस्स० किं| संखेजवासाउयसन्निमणुस्स० असंखेज वासाउय?, गोयमा ! संखेजवासा० नो असंखे०, जइ संखेज किं पजत्त० अपजत्त०१, गोयमा ! पजत्त० अपजत्तसंखेजवासाउथ०, सन्निमणुस्से णं भंते ! जे भविए पंचिंदि० |तिरिक्ख० उवंय से णं भंते ! केवति.?, गोयमा ! जह. अंतोमु० उक्कोतिपलिओवमट्टितिएसु उव०, ते हणं भंते ! लद्धी से जहा एयरसेव सन्निमणुस्सस्स पुढ विकाइएसु उववजमाणस्स पढमगमए जाव भवादेसोत्ति | कालादे०जह दोअंतोमु० उक्को तिन्नि पलि. पुवकोडिपुहुत्तमन्भहियाइं १, सो चेव जहन्नकालहितीएसु उववन्नो OMGOROSCREENSIOGREASEX Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600226
Book TitleBhagwati sutram Part 03
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1921
Total Pages654
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy