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१५गोशालकशते परावृत्त
परिहारः
सू ५५०
व्याख्या- विहरित्ता ताओ देवलोयाओ आउ० ३ जाव चइत्ता दोचे सन्निगन्भे जीवे पच्चायाति, से णं तओहितो
प्रज्ञप्तिः अणंतरं उच्चट्टित्ता हेहिल्ले माणसे संजूहे देवे उववजइ, से णं तत्थ दिवाई जाव चइत्ता तचे सन्निगन्भे जीवे अभयदेवी
| पच्चायाति, से णं तओहिंतो जाव उच्चट्टित्ता उवरिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववजिहिति, से णं तत्थ दिवाई यावृत्तिः२/
भोग जाव चइत्ता चउत्थे सन्निगन्भे जीवे पच्चायाति, से णं तओहितो अणंतरं उच्चट्टित्ता मज्झिल्ले माणुसुत्तरे ॥६७४॥
संजूहे देवे उववज्जति, से णं तत्थ दिवाइं भोग जाव चइत्ता पंचमे सन्निगम्भे जीवे पञ्चायाति, से णं तओ| हिंतो अणंतरं उच्चहित्ता हिडिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववज्जति, से णं तत्थ दिवाई भोग जाव चइत्ता छढे |सन्निगन्भे जीवे पञ्चायाति, से णं तओहिंतो अणंतरं उववाहित्ता बंभलोगे नाम से कप्पे पन्नत्ते पाईणपडीMणायते उदीणदाहिणविच्छिन्ने जहा ठाणपदे जाव पंच वडेंसगा पं०, तंजहा-असोगवडेंसए जाव पडिरूवा,
से णं तत्थ देवे उववजइ, से णं तत्थ दस सागरोवमाई दिवाई भोग जाव चइत्ता सत्तमे सन्निगन्भे जीवे पचायाति, से णं तत्थ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाण जाव वीतिकंताणं सुकुमालगभद्दलए मिउकुंडलकुंचियकेसए मट्टगंडतलकन्नपीढए देवकुमारसप्पभए दारए पयायति, से णं अहं कासवा!, तेणं अहं आउसो ! कासवा ! कोमारियपञ्चजाए कोमारएणं बंभचेरवासेणं अविद्धकन्नए चेव संखाणं पडिलभामि सं०
२ इमे सत्त पउट्टपरिहारे परिहरामि, तंजहा-एणेजगस्स मल्लरामस्स मल्लमंडियस्स रोहस्स भारद्दाइस्स अजुगणगस्स गोयमपुत्तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स, तत्थ णं जे से पढमे पउद्दपरिहारे से णं रायगिहस्स नग
त
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