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व्याख्या प्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः
८ शतके उद्देशः १ प्रायोगिक
परिणामः
॥३२९॥
सू ३१०
||गेवेजगकप्पातीतग० जाव उवरिम २ गेविजगकप्पातीयः । अणुत्तरोववाइयकप्पातीतगवेमाणियदेवपंचिंदि
यपयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता ?, गोयमा! पंचविहा पण्णत्ता, तंजहा-विजयअणु|त्तरोववाइय० जाव परिण० जाव सबसिद्धअणुत्तरोववाइयदेवपंचिंदिय जाव परिणया ॥ सुहमपुढविकाइ
यएगिदियपयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, [केई अपज्जत्तगं |पढम भणंति पच्छा पजत्तगं, ] पज्जत्तगसुहुमपुढविकाइय जाव परिणया य अपजत्तसुहुमपुढविकाइय जाव |परिणया य, बादरपुढविकाइयएगिदिय० जाव वणस्सइकाइया, एक्केका दुविहा पोग्गला-सुहुमा य बादरा |य पज्जत्तगा अपजत्तगा य भाणियवा । बेंदियपयोगपरिणया णं पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा| पजत्तबेंदियपयोगपरिणया य अपजत्तग जाव परिणया य, एवं तेइंदियावि एवं चरिंदियावि । रयणप्पभा| पुढविनेरइय० पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगरयणप्पभापुढवि जाव परिणया य अपज्जत्त |गजावपरिणया य, एवं जाव अहेसत्तमा । समुच्छिमजलयरतिरिक्खपुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पज्जत्तग० अपज्जत्तग०, एवं गब्भवतियावि, संमुच्छिमचउप्पयथलयरा एवं चेव गन्भवतिया य, एवं जाव संमुच्छिमखयरगन्भवतिया य एकेके पजत्तगा य अपजत्तगा य भाणियवा । समुच्छिममणुस्सपंचिंदियपुच्छा, गोयमा ! एगविहा पन्नत्ता, अपजत्तगा चेव । गन्भवतियमणुस्सपंचिंदियपुच्छा, गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगगन्भवतियावि अपज्जत्तगगन्भवतियावि । असुरकुमारभवणवासिदे
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