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व्याख्या
प्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः
॥३४९॥
नत्थि । सम्मइंसणलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं तिनि अन्नाणाई भयणाए, मिच्छा
८ शतके |दसणलद्धिया णं भंते ! पुच्छा, तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई तिन्नि य अन्ना.
उद्देशः२ णाई भयणाए, सम्मामिच्छादंसणलद्धिया य अलद्धिया जहा मिच्छादसणलद्धी अलद्धी तहेव भाणियचं ॥
ज्ञानाज्ञाना चरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी?, गोयमा ! पंच नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं
नि गत्यादौ
सू० ३२० मणपजवनाणवजाइं चत्तारि नाणाई तिन्नि य अन्नाणाई भयणाए, सामाइयचरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी?, गोयमा ! नाणी केवलवजाइं चत्तारि नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंच | नाणाई तिन्नि य अन्नाणाई भयणाए, एवं जहा सामाइयचरित्तलद्धिया अलद्धिया य भणिया एवं जहा जाव' अहक्खायचरित्तलद्धिया अलद्धिया य भाणियचा, नवरं अहक्खायचरित्तलद्धिया पंच नाणाई भ०, चरित्ताचरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी, गोयमा! नाणी नो अन्नाणी, अत्थेगइया दुण्णाणी अत्थेगतिया तिन्नाणी, जे दुन्नाणी ते आभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य, जे तिन्नाणी ते आभिः सुयना. ओहिना,तस्स अल० पंच नाणाइं तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए ४॥दाणलद्धियणं पंच नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, तस्स अ० पुच्छा, गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, नियमा एगनाणी केवलनाणी । एवं| ॥३४९॥ जाव वीरियस्स लद्धी अलद्धी य भाणियवा ॥ बालवीरियलद्धियाणं तिन्नि नाणाइं तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, |तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए । पंडियवीरियलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धिया-|
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