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९ शतके उद्देश:३३ दीक्षायै अ
नुमतिः सू३८४
व्याख्या
दोहि सयसहस्सेहिं कुत्तियावणाओ रयहरणं च पडिग्गहं च आणेह सयसहस्सेणं कासवगं च सद्दावेह, तए प्रज्ञप्तिः णं ते कोडंबियपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं वुत्ता समाणा हद्वतुट्ठा करयल जाव पडिअभयदेवी- सुणेत्ता खिप्पामेव सिरिघराओ तिन्नि सयसहस्साइं तहेव जाव कासवगं सद्दावेंति । तए णं से कासवए या वृत्तिः२ जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा कोडुबियपुरिसेहिं सद्दाविए समाणे हटे तुट्टे पहाए कयबलिकम्मे जाव
सरीरे जेणेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता करयल. जमा॥४७२॥
लिस्स खत्तियकुमारस्स पियरं जएणं विजएणं वद्धावेइ जएणं विजएणं वद्धावित्ता एवं वयासी-संदिसंतुणं देवाणुप्पिया ! जं मए करणिजं, तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तं कासवगं एवं वयासीतुम देवाणुप्पिया! जमालिस्स खत्तियकुमारस्स परेणं जत्तेणं चउरंगुलवजे निक्खमणपयोगे अग्गकेसे पडिकप्पेहि, तए णं से कासवे जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं वुत्ते समाणे हद्वतुट्टे करयल जाव एवं सामी! तहत्ताणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ २त्ता सुरभिणा गंधोदएणं हत्थपादे पक्वालेइ सुरभिणा २ सुद्धाए अपडलाए पोत्तीए मुहं बंधइ मुहं बंधित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स परेणं जत्तेणं चउरंगुलवजे निक्खमणपयोगे अग्गकेसे कप्पइ । तए णं सा जमालस्स खत्तियकुमारस्स माया हंसलक्खणेणं पडसा
डएणं अग्गकेसे पडिच्छइ अग्गकेसे पडिच्छित्ता सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेइ सुरभिणा गंधोदएणं ४ा पक्खालेत्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहिं मल्लेहिं अच्चेति २ सुद्धवत्थेणं बंधेइ सुद्धवत्थेणं बंधित्ता रयणकरंडमंसि
॥४७२॥
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