________________
व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः २
॥४४३ ॥
|
| होजा एवं जाव अहवा तिन्नि रयण० एगे सक्कर० एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयण० एगे वालुय० तिन्नि पंकप्पभाए होज्जा, एवं एएणं कमेणं जहा चउण्हं तियासंजोगो भणितो तहा पंचण्हवि तियासंजोगो भाणियो नवरं तत्थ एगो संचारिज्जइ इह दोन्नि सेसं तं चैव जाव अहवा तिन्नि धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहे सत्तमाए होजा अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे वालुय० दो पंकप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा एगे रयण० एगे सकर० एगे वालुय० दो अहेसत्तमाए होज्जा ४ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० दो वालुय० एगे पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहेसत्तमाए ८, अहवा एगे रयण० एगे सकरप्पभाए एगे वालुय० एगे पंकप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयण०दो सक्कर० पूर्व १२० - एगे वाल• एगे अहेसत्तमाए होज्जा १२ अहवा दो रयण० एगे सकर० एगे वालुय० एगे पंकप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा दो रयण० एगे सक्कर० एगे वालुय० एगे अहेसत्तमाए होज्जा १६ अहवा एगे रयण० एगे सकर० एगे पंक० दो धूमप्पभाए होजा एवं जहा चउण्हं चक्कसंजोगो | भणिओ तहा पंचण्हवि चउक्कसंजोगो भाणियवो, नवरं अन्भहियं एगो संघारेयधो, एवं जाव अहवा दो पंक० एगे धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयण० एगे सकर• एगे वालुय० एगे पंक० एगे घूम
६ धूमप्रभा
भाए होज्जा १ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे वालुय० एगे पंक एगे तमाए होजा २ अहवा एगे रयण० जाव एगे पंक एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे वालुयप्पभाए एगे
Jain Education International
त्रिसंयोगे
९० रन०
६० शर्करा २६ वालुकप्रभा १८ पंकप्रभा
For Personal & Private Use Only
९ शतके उद्देशः ३२ एकादिजीवप्रवेशाधि.
सू ३७२
॥ ४४३ ॥
www.jainelibrary.org