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८ शतके उद्देशः९ | बन्धषष्ट्रि
शिका
व्याख्या प्रज्ञप्तिः
॥ ओराल०१॥ ॥ वेरुविय०२॥ ॥ आहारग० ३॥ ॥ तैजस०४॥ ॥कार्मण.५॥ अभयदेवी-1
सबबंधा अणंता ६ सवबंध० असं०३ सबबंध० थोवा १ देसबंध.विसेसाहिया ९ देसबंधा विसेसाया वृत्तिः१
देसबंधा असंखेज०८ देसबंध० असंखे० ४ देसबंध.संख्यातगुणा२ अबंधा अर्णता हिया ९ ॥४१४|| (विग्रहगति)अबंधा अबंधा विसेसा- अबंधा विसेसा
अबंधा अणंता विसेसाहिया ७ । हिया १० हिया ११
इहाल्पबहुत्वाधिकारे वृद्धा गाथा एवं प्रपश्चितबन्तःओरालसवबंधा थोवा अब्बंधया विसेसहिया । तत्तो य देसबंधा असंखगुणिया कहं नेया ! ॥१॥ पढममि सबबंधो समए सेसेसु || | देसबंधो उ । सिद्धाईण अबंधी विग्गहगइयाण य जियाणं ॥ २॥ इह पुण विग्गहिए च्चिय पहुच्च भणिया अबंधगा अहिया । सिद्धा
अर्णतभागंमि सबबन्धाणवि भवन्ति ॥ ३ ॥ उजुयाय एगवंका दुहओवंका गई भवे तिविहा । पढमाइ सव्वबंधा सव्वे बीयाइ अद्ध तु॥४॥ G|| तइयाइ तइयभंगो लब्भइ जीवाण सव्वबंधाणं । इति तिन्नि सव्वबंधा रासी तिन्नेव य अबंधा ॥ १५॥ रासिप्पमाणओ ते तुल्लाडMIबंधा य सव्वबंधा य । संखापमाणओ पुण अबंधगा पुण जहन्भहिया ॥६॥जे एगसमइया ते एगनिगोदंमि छदिसि एंति । दुसमइया |तिपयरिया तिसमईया सेसलोगाओ॥७॥ तिरियाययं चउद्दिसि पयरमसंखप्पएसबाहल्लं । उदुं पुन्वावरदाहिणुत्तरायया य दो पयरा ॥८॥ ने तिपयरिया ते छदिसिएहितो भवलऽसंखगुणा । सेसावि असंखगुणा खेत्तासंखेजगुणियत्ता ॥ ९॥ एवं विसेसअहिया अबंधया सव्वबंधएहि
KALANCE
॥४१॥
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