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________________ उद्दवइत्ता आहारं आहारेति, इति से महया पावेहिं कम्महिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगहओ उवचरयभावं पडिसंधाय तमेव उवचरियं हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुपइत्सा उद्दवइत्ता आहारं आहारेति, इति से महया पावहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगइओ पाडिपहियभावं पडिसंधाय तमेव पाडिपहे ठिच्चा हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेति, इति से महया पावहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगइओ संधिछेदगभावं पडिसंधाय तमेव संधि छेत्ता भेत्ता जाव इति से महया पावहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगइओ गंठिछेदगभावं पडिसंधाय तमेव गंठिं छेत्ता भेत्ता जाव इति से. महया पावहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्सा भवइ ॥ से एगइओ उरन्भियभावं पडिसंधाय उरब्भं वा अण्णतरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । एसो अभिलावो सवत्थ ॥ से एगइओ सोयरियभावं पडिसंधाय महिसं वा अण्णतरं वा तसं पाणं जाव उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगइओ वागुरियभावं पडिसंधाय मियं वा अण्णतरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भव ॥ से एगइओ सउणियभावं पडिसंधाय सउणि वा अण्णतरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भव ॥ से एगइओ मच्छियभावं पडिसंधाय मच्छं वा अण्णतरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भव ॥ से एगइओ गोघायभावं पडिसंधाय तमेव गोणं वा अण्णयरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगइओ गोवालभावं पडिसंधाय तमेव गोवालं वा परिजविय dain Education International For Personal & Private Use Only www.janelibrary.org
SR No.600218
Book TitleSutrakritangasutram
Original Sutra AuthorShilankacharya
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1917
Total Pages856
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size16 MB
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