SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 90
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रतिक्रमण सूत्र ॥४४॥ डालिया समा सासाली है रासारे । दावानल रण भय नासारे ॥ दुष्ट कष्ट भगिंदर रोगारे। तुझ नामथी जाय वेगा॥ ३ ॥ डायण सायण भूत वैतालारे। दीसंता अति विकराला ॥ संखेश्वर चित्त सभाररे । दुष्ट ग्रह चौर निवारे ॥ ४ ॥ धन हिणाने धन आपरे । दुखियारा दुःख कापे । भावे करी प्रभु पूजरे । तेतो अष्ट कर्म अरि धूजे ॥ ५ ॥ तुंमे सुणा हो वामारा जायारे । थारा दर्शन में सुख पाया । आज मेह अमीमय वुठारे । साहिब तुझ दर्शन दीठा ॥६॥ गुनह घणामें कीधारे । साहिब तुझ दर्शन सीधा ।। ओगुण पिण गुण कर लीजेरे । निजसेवक चित्त धरीजे ॥७॥ वंस चंद्र मुनिंद्र परिमाणोरे । संवत् सतरेसौ संख्या जाणो ॥ श्री सोजत नगरे चौमासरे । थुर्णायो | संखेश्वर पास ॥८॥ इतिश्री संखेश्वर पार्श्वनाथ स्वामिके पंचकल्याणकका चौढालिया समाप्त ॥ ॥ अथ पार्श्वजिन स्तुति ॥ हरिगीत छंदः॥ ॥ द्रकि धपमप, धुधुमि धो धों, ध्रसकिधर धप धोरवं दोंदोंकि दो दों, दाग्डिदि दाग्डिदिकि, द्रमकि द्रणरण द्रेणवं ॥ झझियोंकि यें, झणण रण रण, निजाक निजजन रंजनं । सुरशैल शिखरे, भवतु सुखदं, पार्श्वजिनपति मज्झनं ॥१॥ कटरेगिनि थोगिनि, किटति गिग्डदा, धुधुकि धुट नट पाटवं गुणगुणण गुणगण, रणकि णणे, गुणणगुणगण गौरवं झझिोकि झंझू, झणण | रणरण, निजकि निजजन सज्जना। कलयंति कमला, कलितकलमल, मुकल मांश महेजिनाः ॥ २ ॥ ठकि।कि ट्रॅटे, ठकि ठकि, ठपिट्टा ताब्यते तललोंकि लों लों, षिषिनि डेंपिडेपिनि वाद्यते। ॐ ॐ ॐ ॐ थुगि धुंगिनि, धोंगि धौगिनि,कलरखे जिनमतमनंतं, महिम तनुतां, नमति सुरनर मुच्छवे ॥३।। खुदांकि खुदां, खुखुडदि खुदां खुखु डदि दो दों, अंबरे चाचपट चचपट, रणकि णेणे, झणण डेंडें डंबरे ।। तिहां सरगमपधुनि, निधपमगरस, सस ससस सुर सेवता जिननाट्यरंगे कुशलमुनीश, दिशतु शासन देवता ४॥ ॥ इति श्री पार्श्वजिन स्तुति ॥ धप धार स्तति OCCURRECIRCTC060 ॥४४॥ For Personal & Pre Use Only
SR No.600208
Book TitleSadhu Pratikramanadi Sutrani
Original Sutra AuthorJagjivan Jivraj Kothari
Author
PublisherJagjivan Jivraj Kothari
Publication Year1925
Total Pages92
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy