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________________ foll अर्थः दुर्लजगजा पासे गयो. अने सां ने चैव पासी, पण याच्या. पठी पुरोहित राजाने विनंति करो के, हे राजन! या नमरमां वे उत्तम जैनमुनि पानाने स्थानक नहीं मळनाथी मारे घर पधार्या डे, तेन महागुणी होवायी में तेनने रहेकाने स्थानक आप्युबे, पण आ खवाली यतिनए पोताना माणसो मारे घर मोकली तेन ने नगरनी बहार नीकळी जवान कहेराव्युं ने. ते सांजळी तुत्यष्टिवाळा दुर्लनराजाए जरा हसीन कामु के, मारा नगरमा जे गुणी माणमो देशांतरयी अवीने वसे , तेनने कोइ पण निवारी शक्तुं नयी, नो यात्रा महात्माउने बहीं नहीं वसवा देवा माटे सुं प्रयोजन डे सारे चैयवासी, बोली नख्या के, हे महीपनि पूर्वे श्रीवनराज नामना ने महापराक्रमी राजा अहीं थएला , तेमने बाल्यपणामां चैववासी देवचंमूरिए (बीजा मत प्रमाणे शिलगुगा मूरिए ) आश्रय आपा पोष्या हना, अने ते नपकारना बदलामा बनराजे संप्रदाय वि रोधना जपथी आ नगरमा फक्त चैत्यवामीनएज रहेयु, अने वीजा श्वेतांवर जैन स.धुनए अहीं रहे बुं नहीं, एवो लेख करी आप्यो ठे, अने तेयी आयो तमने अहीं वनवामाटे मना करीश बीए, आपे पण यायना ते पूर्वजोनी आज्ञा पाळची जोश. सारे राजाए को के, अमारा पूर्वजोन पाइा अमारे पाळन जोएं ते व्याजबीज बे, केमके, आप जेवा मुनिननी आशिपोथी अमारा जेया राजान शधित थाय डे, अने ढुंकामां कही तो आ राज्यज आएन डे, तेषां कंइ पाग संदेह नथी. वळी तमो पण जैन मुनिनो , तो सुनिननो आचार शुं ते सांगळवानी मने इसाबे, अने ते आचारमा जो मा बन्ने म. निननुं विरोधपणुं मालुम प. तो तेन आ नगरयां रहेवू नहीं, एम कही ते दुर्लक राजाए पोताना सरस्वती मारमा रहेखें जैन मुनिना आचारना स्वरूपवाळ इशकालिक मूत्र मगाव्यु, अने मां कडेला आचार प्रमाणे या बन्ने आचार्योंन प्रवर्तता जोक्ने तेमने खरतर बिरुद पाप) रदेवामाटे सां निवास आप्पो, अने चैयामीन ऊं वाणा याने पोताने स्थानके गया, तथा सारय ते अणहितपुरमांशु जैन मुनिनने निवास मळवा लाग्यो, अन चरवासीनन जोर धीमे धीरे कमी यतुं चाप्यू, खां बुद्धिमागराचार्य बुद्धिसागर नामर्नु सात हजार श्लोकनु नवु व्याकरण रपयु. एवी रोने आ खरतरगहाला स्थापना रा श्री जिनेश्वमूरि आचार्य महामनाविक यएला डे. ॥ अन्नयदेवमूरिनो इतिहास ॥ धारापुरी नामनी नगरीमा बसनारा महीधर नामना एक शाहुकारनी धनदेवी नामनी जीनो कुदिा अन्यकुमार नामा - il El Join Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600204
Book TitleSadhu Sadhvi Yogya Pratikraman Kriya Sutro
Original Sutra AuthorSirsala Jain Pathshala
Author
PublisherSirsala Jain Pathshala
Publication Year1908
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size9 MB
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