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________________ गति अर्थः 1300 मनो जय जाणवो, अने तेवा अकस्मात जय नामना जय संबंधिजे कोइ जय मने लागेलो होय, यने ते संबंधि जे कोइअ- || सूत्र तिचार मने लागेलो होय, ते अतिचारने हुं पमिक, छ. पांचमो बाजीविका जय नामनो जय जाणयो, अने तेवा आजीवि-।। का जय नामना जयवमे करीने मने जे कोइ अतिचार लागेलो होय, ते अतिचारने हुँ पमिकमुं छ. हो मरण जय नामनो। जय जाणवो, अने तेवा मरण लय नामना जयवके करीने पने जे कोइ अतिचार लागेलो होय, ते अतिचारने हुँ पमिक, हुं. सातमो शोक जय नामनो जय जाए.यो, अने तेवा शोक जय नामना जयबके करीने मने जे को अतिचार लागेलो होय, ते ॥ अविचारने हुँ पमिक, छ. वली हुँ शुं पमिक छु तो के, ॥अहिं मयगरोहिं॥ ' अर्थ:-(अहद केए) अष्टन्तिः, एटले आठ एवां, अर्थात् आठ प्रकारनां (मयगणेहिं के) मदस्थानः, एटले मदनां स्थानकोबसे करीने जे कोइ अतिचार मने लागेलो होय, ते अतिचारने हुँ पमिकमुंडूं. हवे ते आठे मदनां स्यानको क यां कयां! तो के, पेहेलु जातिमदस्थानक, एटले ब्राह्मण आदिक नंच जातिनो छ, इसादिक जातिसंबंधि मद धारण करगावके करीने मने जे अभिचार लागलो होय, ते अतिचारने हे पकिक मुंछ. बीजं कुलमदस्यानक जाणवू, एटले ग आदिक कुलमां जन्मलो छ, श्यादिक पोताना उंच कुलंसंबंधि मद धारण करवावमे करीने जे कोइ अतिचार मने लागेलो होय, ते अतिचारने हुं पमिक, छ. त्रीजें ऐश्वर्यमदस्थानक जाणवू, एटले मारी पासे लाखो करोमो गने इच्य डे, श्यादिक पोताना ऐश्वर्यसंबंध मदने धारण करवावके करीने जे कोइ अतिचार मने लागेलो होय, ते अतिचारने हुँ पमिकम छु. चोथु लाजमदस्यानक जाणवू, एटले कोपण वस्तुनो लाज यदाधी, आवी उमदी वस्तु मने मली, श्सादि मदने जे धारण करवो, ते लाज नामनो मद कहेवाय, अने एवी रीते लाल मदने धारण करवावमे करीने मने जे कोइ अतिचार लागेलो होय, ते अनिचारने हुं पमिकमुं छ. बली हुं शुं पलिकमुं छु. तो के, पांचमु बलमद नामनुं स्थानक जाणवू, एटले मारा शरीरमां एणु बल , इसादिक पोताना बलसंबंधि जे मदने धारण करतो, ते बलमद कहेवाय; एवी रीतना बलमदने धारण करवावके करीने जे कोई अतिचार मने लागेलो होय, ते अतिचारने हुँ पमिकमुं हुं. बहो रूपमद नामनो मद जाणवो, एटले हुँ घणोज गौरवर्णवालो महारूपवान् छं, इसादिक पोताना रूपन जे अजिमान करवू, ते रूपमद कहेवाय, अने एवीरीतनो रूप 3पाककमुलुकमाउच कुलमुहूं. बीज Jan Education international For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600204
Book TitleSadhu Sadhvi Yogya Pratikraman Kriya Sutro
Original Sutra AuthorSirsala Jain Pathshala
Author
PublisherSirsala Jain Pathshala
Publication Year1908
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size9 MB
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