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________________ SACHICALCCANCCCCCCCCALS4 के मुजने एवो एक बत्रीश लक्षणो पुरुष आपो के जेम तेनो बलि बाकुल देवीनी आगल थाय, एटले देवीने हुं बलि बाकुल थापुं ॥१॥ राय कहे नर ते दीयो, सगो नहीं जस कोय रे ॥ बलि करजो ग्रही तेहने, जे परदेशी होय रे ॥ धवल ॥२॥ सेवक चिहुं दिशि शेठना, फरे नयरमां जोता रे ॥ कुंवर देखी शेग्ने, वात कदे समहोता रे ॥धवल ॥३॥दीगे बत्रीश लवणो,पुरुष एक परदेशी रे॥ कहो तो काली आणीए, शुदिन को तस लेशी रे॥धवल ॥४॥धवल कदे आणो इहां, म करो घडीय विलंब रे॥ बलि देने चालीए,वहार नहीं तस बुंब रे॥धवल ॥५॥ सुनट सहस दश सामटा, आवे कुंवरनी पासे रे ॥ अनिमानी नक्षतपणे, . कडुआं कथन प्रकाशे रे ॥ धवल ॥६॥ अर्थ-ते सांजली राजाए कह्यु के हे शेठ ! जेनो को सगो संबंधी मारा नगरमा न होय । तथा वली जे परदेशी होय ते पुरुष में तमने (दीयो के०) दीधो, माटे तेने (ग्रही के०) पकमीने तेनुं बलिदान करजो॥॥एवी राजानी आज्ञा पामीने धवल शेउना सेवक जरुषच नगर दिशाए तेवा माणसने जोता फरे .एटलामां श्रीपाल कुमरने देखीने सेवक पुरुष (समहोता के०) हर्ष पामता थका प्रावीने शेठ प्रत्ये वात कहेता हवा ॥३॥के हे शे!अमे एक बत्रीश लक्षणो परदेशी पुरुष दीगे , तेनी शुधि लेनार को पण नथी, माटे तमे कहो तो तेने पकमी लावीए॥४॥ एवं सांजली धवल शेठ सेवकोने कहेवा लाग्यो के जाले, तेने अहीं पकमी लावो. ए काममा एक घमीनो पण विलंब म करो, केमके आपणे ते पुरुषनुं बलिदान आपीने तुरत हांथी चालीए. तेनी (वहार के०) वहार करनार एटले संजाल लेनार पण कोश् नथी, तथा बुब पण कोश् सांजलनारा Sain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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