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________________ थयुं ॥ यतः॥ लवणसमो नदि रसो, विन्नाणसमो बंधवो नजि ॥ धम्मसमो नवनिहि, कोहसमो वयरि नहि ॥१॥ इति ॥ ७॥ ए पण हुश् कुलखंपणी ॥ जय० ॥ मुज कुल नरीयो गर ॥ गुण ॥ परएयो प्रीतम परहरी ॥ जय० ॥ अवर कीयो जरतार ॥ गुण ॥५॥ इणी परे जन्नो उरतो ॥ जय० ॥ जव दीगे ते राय॥गुण ॥ पुण्यपाल अवसर लढ॥ जय०॥ आवी प्रणमे पाय ॥ गुण॥ १० ॥राज पधारो मुज घेर ॥ जय० ॥ जु जमाई रूप ॥ गुण ॥ सिक्ष्चक्रसेवा फली ॥ जय० ॥ते कर्तुं सकल स्वरूप ॥ गुण ॥ ११॥राये आवी उलख्यो ॥ जय० ॥ मुख इंगित आकार ॥ गुण ॥ मन चिंते महिमानिलो ॥ जय० ॥ जैनधर्म जग सार ॥ गुण ॥१२॥ अर्थ-तेम वली ए कुमरी पण मारा कुलमां खंपण एटले कलंक लगामनारी, काली टोली जेवो माघ लगामनारी थर, जेणे मारा कुल माहे (बार के०) राख नरी, एटले मारुं कुल मलिन कलु, कारण के एणे परणेलो जर्रार त्यागीने बीजो जर्तार कस्यो, ए मारा कुलने खोट लगामी ॥ ए ॥ एवी रीते चिंतवतो प्रजापाल राजा तिहां कूरतो थको जनो , तेने जे वारे | पुण्यपाल राजाए दीगे, ते वारे ते अवसर पामीने तेना पगने विषे श्रावी प्रणम्यो एटले नम्यो| ॥ १० ॥ नमीने कद्देवा लाग्यो के हे राजन् ! मारे घेर पधारो, अने श्रापना जमानुं रूप जुर्ज, तथा गुरुवचने सिकंचक थाराध्या, तेनी सेवा फलीभूत थर, ते संबंधी जे कांश ( स्वरूप के०) वृत्तांत हतुं, ते सर्व कही संजलाव्युं ॥११॥ ते वारे राजाए आवीने मुखना (इंगित के०) निशानी Sain Education International For Personal and Private Use Only wwinjainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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