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________________ जरि वसे ने, रहे बे, तिहां तत्काल तेज वखते पोताना मंदिरे तेडी जवाने माटे पुण्यवंत एवोग ४ा पुण्यपाल नामे राजा श्राव्यो॥७॥ ॥ढाल अगीयारमी ।। राय कहे राणी प्रते ॥ सुण कामिनी ॥ए देशी॥ आवो जमा प्राहुणा ॥ जयवंता जी॥अम घर करो पवित्र ॥गुणवंता जी ॥ सहुने अचरिज उपजे ॥ जयवंता जी ॥ सुणतां तुम्ह चरित्र । गुणवंता जी ॥१॥ गज बेसारी उत्सवे ॥ जय० ॥ पधराव्या निज गेद ॥ गुण ॥ मानलससरो पूरवे ॥ जय० ॥ नोग नला धरी नेद ॥ गुण ॥३॥श्क दिन बेगं मालीये ॥ जय० ॥ मयणा ने श्रीपाल ॥ गुण ॥ वाजे बंदे नव नवे ॥ जय० ॥ मादल चुंगल ताल ॥ गुण ॥३॥ राय राणी रंगे जुवे ॥ जय० ॥ थे। थेनाचे पात्र ॥ गुण ॥ नरद नेद नावे जला ॥ जय० ॥ वाले परि परि गात्र ॥ गुण ॥४॥ । अर्थ-श्रने श्रीपालने कहेवा लाग्यो के हे परोणा जमा ! तमे जयवंता हो, माटे आवीने | अमारं घर पवित्र करो. हे गुणवंता जमा! तमा चरित्र सांजलतां थका सर्व लोकने अचरिज | उपजे जे ॥१॥ एम कहीं श्रीपालने हाथी उपर बेसामीने मोटा उत्सवे करी मामा ससराए | पोताने घेर पधराव्या. तिहां स्नेह धरीने (जला के० ) रुडा उत्तम प्रकारना जोग तेने प्रवाह लाग्यो ॥२॥ हवे एक दिवसे मयणासुंदरी अने श्रीपाल कुमर बेहु जण मलीने मालीया है उपर गोखमां बेग, तिहां नव नवा बंदे करी मादल, लुंगल अने ताल वाजे जे ॥३॥ तथा ये थेश्कार करीने नाटकोनां पात्र नाचे , अने ते पात्रो (जरह के० ) समूह एटले नाटकना वत्रीश नेद तेणे करी सहित नला नावे करी नाटक करे , (परि परि के) जूदी जूदी रीते। Sain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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