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________________ श्री राहवे श्रमारी सार संजाल कोण करशे ? ॥ सुख गयुं जेने सासरे, पीयर टलीयुं मान ॥ कंत- खम.१ ॥३०॥ विहूणी कामिनी, जिहां जाये तिहां रान ॥ १॥ इति ॥ २॥ गया विदेशे बाहुमे, वाल्हा कोइक वार ॥ इण वाटे वोलावीया, न मले बीजी वार ॥ ३ ॥ देजे हसी बोलावता, जे दणमां के वार ॥ नजर न मंमे ते सजन, फूटे न दिया गमार ॥ ४॥ नेह न आण्यो माहरो, पुत्र न थाप्यो पाट ॥ एवमी उतावल करी, शुं चाल्या इण वाट ॥५॥ अर्थ-जे विदेश एटले परदेश गया होय ते वाव्हा कोक वार ( बाहुडे के ) मझे, पण ए वाटे जेने वोलावी श्राव्या ते वीजी वार मले नहीं ॥३॥ हे हृदय ! अमने हेजे करी सहित हसीने एक क्षणवारमा केटलीएक वखत बोलावता एवा ( सजान के०) वहाला, ते आज सामी नजर पण मांगता नथी, ते माटे हे मारा गमार हैयमा ! तुं फाटोने बे नाग केम थतुं नथी ? | ४॥ यतः ॥ केहशुं कीजे वत्तडी, केहशुं कीजे कठ॥ जेहवा सऊन वीबड्या, तेहवा नावे हब॥१॥ हुँ। हैकुमलाणी कंत विण, जिम जल विहणी वेल ॥ वणजारानी श्राग ज्यु, गयो धखंती मेल ॥२॥ वालमीया मंदिर रह्या, उमण लागी खेह ॥ हैयडे वादल पूरीयां, नयणे वूग मेह ॥३॥ विसाख्या में नहीं विसरे, सं नास्या न समाय ॥ वालम तणा सनेहमा, हियडे वलगा जाय ॥४॥ इति ॥४॥ ४ावली हे स्वामिन् ! तमे मारा उपर स्नेह आएयो नहीं ते तो रडं, परंतु पुत्रने तमारे पाट एटले | है तखते पण बेसाड्यो नहीं ! एटली वधी उतावल करीने ( वाट के०) ए मार्गे शुं चाल्या ? ॥ यतः॥ में जाण्युं मन मांय, श्रातम रहेशे एकलो ॥ वालम तुम दिल कोय, माने को मालुम :॥३०॥ नहीं ॥१॥ मालाया महोटी खोड, माणसने मरवा तणी ॥ बीजी ने लख कोम, ए सरखी एके | नहीं ॥२॥ इति ॥५॥ Jain Education Intematonal For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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