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________________ श्री राण वम वखती वर एह बे, दोशे रायां राय रे॥ शासन सोद वधारशे, जग खंग.१ नमशे जस पाय रे ॥ चेतन ॥ ए॥ मयणा गुरुने विनवे, देइ आगम उपयोग रे॥ करी उपाय निवारीए, तुम श्रावक तनुरोग रे ॥ चेतन ॥ १० ॥सूरि कदे ए साधुनो, उत्तम नहीं आचार रे॥ यंत्र जडीमणि मंत्र जे, उसड ने उपचार रे॥ चेतन ॥११॥ पण ए सुपुरुष एदथी, थाशे धर्म नद्योत रे॥ तेणे एक यंत्र प्रकाशशु, जस जग जागती ज्योत रे॥ चेतन०॥ १२॥श्रीमुनिचंद गुरे तिहां, आगमग्रंथ विलोइ रे॥माख नी पेरे जइयो, सिचक्रयंत्र जो रे॥ चेतन०॥१३॥ अर्थ-ए तारो वर ते ( वम वखती के०) मोटा वखतनो धणी , ए राजानो पण राजा। थशे, जैनशासननी शोना वधारशे, अने जेना पगने सर्व जगत नमशे एवो थशे ॥ ए॥ एवं सांजलीने मयणा गुरुने विनंति करे के के हे खामिन् ! मारा उपर प्रसाद करी (देश् आगम उप-12 योग के०) सिझांतमा उपयोग दर कोश्क उपाय करी था श्रावकना (तनु के० ) शरीरनो जे|8| रोगले तेनुं निवारण करो के जेथी या मारा स्वामीनो व्याधि मटी जाय तो लोकनिंदा टले ॥ १०॥ ते वारे सूरि जे आचार्य, ते मयणाने कहे जे के हे न ! यंत्र, जमी, मणि, मंत्र, औषध अने उपचार करवा, ए साधुनो उत्तम श्राचार नथी ॥ ११॥ पण ए सुपुरुष , एथी घणो धर्मनोP उद्योत थशे, माटे जेनी जगतमा जागती ज्योति ने एटले जागतो प्रकाश में, एवो एक यंत्र ॥२०॥ चंड सूरिए जेम बाशने वलोवी तेमांथी। माखण उमरी काढीए तेनी पेरे श्रागमग्रंथोने वलोवीने तेमांथा सिझचक्रनो यंत्र जो काढ्यो॥१३॥ Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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