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________________ संवत सत्तर अडतीसा वरसे, रही रानेर चोमासे जी ॥ संघ तणा आग्रहथी मांड्यो, रास अधिक नल्लासे जी ॥ ॥ साई सप्त शत गाथा विरची, पहोता ते सुरलोके जी॥ तेदना गुण गावे वे गोरी, मिली मिली थोके थोके जी ॥ १० ॥ तास विश्वासनाजन तस पूरण, प्रेम पवित्र कहाया जी॥श्रीनयविजय विबुधपयसेवक, सुजशविजय उवकाया जी ॥११॥नाग थाकतो पूरण कीधो, तास वचन संकेते जी ॥ तिणे वली समकितदृष्टि जे नर, तेह तणे हित देते जी ॥१२॥ जे नावे ए जणशे गुणशे, तस घर मंगलमाला जी ॥ बंधुर सिंधुर सुंदर मंदिर, मणिमय काकळमाला जी ॥ १३ ॥ अर्थ-ते श्रीविनयविजयजी उपाध्याये संवत् सत्तरसे ने आमत्रीशाना वर्षमां श्रीरानेर (रांदेर) गामने विषे चोमासुं रहीने श्रीसंघना थाग्रहथी था रासने अधिक उल्लासे करवा मांड्यो ॥ ए॥ तेनी ( सार्क के०) पचास अने ( सप्त शत के० ) सातसें एटले सातसें पचास गाथा (विरची ४०) रचीने श्रीविनयविजयजी उपाध्याय देवलोके पहोता. जेना गुणने (गोरी के० ) स्त्री ते थोके थोके मल मलीने गाय ॥१०॥ ते श्रीविनयविजयजी उपाध्यायना विश्वासना नाजन-15 रूप, वली संपूर्ण प्रेमवंतनुं पवित्र बिरुद कहेवरावता एवा जे श्रीनयविजय पंमितना पदकमलना सेवक रुडा यशोविजयजी उपाध्याय ॥ ११ ॥ तेमने श्रीविनयविजय उपाध्यायजीए आ रास पूर्ण है। करवाने कहेबुं हतुं, माटे तेमना वचननो संकेत हतो, तेणे करीने तथा वली समकितदृष्टि जे 2 नर तेना हितने ( हेते के० ) कारणे श्रा रासनो जे थाकतो एटले अधूरो रहेलो नाग, ते पूर्ण Jan Educati e mational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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