SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 388
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीराम शुक्ष देव गुरु धर्म परीक्षा, सद्दहणा परिणाम ॥ जेद पामीजे तेद नमीजे, सम्यग्दर्शन नाम रे ॥ नविका ॥ सिचक्र० ॥ २६ ॥ ॥रए॥ मत उपशम दय उपशम दयथी, जे होय त्रिविध अन्नंग ॥ सम्यग् दर्शन तेद नमीजे, जिनधर्मे दृढ रंग रे॥ नविका ॥ सिचक्र ॥२७॥ अर्थ-हवे पांच गाथाए करी सम्यक्त्वदर्शन वर्णवे बे. शुद्ध देव ते अढार दूषण रहित एवा श्रीअरिहंत जाणवा, अने शुद्ध गुरु ते पंच महाव्रतना पालक, दशविध यतिधर्मना धारक, शुद्ध मार्गना देखामनारा एवा सुसाधु जाणवा, तथा शुद्ध धर्म ते दया मूल विनय विवेक सहित 8 श्रीकेवलिजाषित जाणवो. ए त्रण तत्त्वनी परी दाने करवे करी सदहणाना एटले श्रझाना परि-है Mणाम सहित जे समकित पामीजे तेनुं नाम समकितदर्शन कहीए. ते समकितदर्शनने नमीजे एटले प्रणमीए, कारण के एक समकित शुरू तो सर्व शुफ ने. समकित विना सर्व बार उपर लीपणा समान जाणवू ॥६॥ प्रथम मल जे मोहनीय कर्म तप मल तेनी सात प्रकृति, तेमां चार 8 प्रकृति अनंतानुबंधीनी, पांचमी मिथ्यात्व मोहनी, बही मिश्र मोहनी अने सातमी समकित मोहनी, ए सात प्रकृतिना उपशम एटले उपशमे करीने उपशम समकित थाय. बीजुं (दय उपशम है के०) ते पूर्वोक्त मोहनीय कर्मनी जे सात प्रकृति , तेमांथी जे उदय श्रावी ते वय पामी, अने जे उदय नहीं श्रावी ते उपशमी, पण प्रदेशोदयपणे . एम सात प्रकृतिना क्ष्य अने उपशमथी दयोपशम समकित कहीए. त्रीजु (वयथी के०) ए साते प्रकृतिनो संपूर्ण दय | ॥१॥ थवाथी दायिक समकित कहीए. एवी रीते सम कित ते त्रिविध एटले कोश्ने उपशम, कोश्ने । कयोपशम अने कोश्ने दायिक, ए त्रण प्रकारे अन्नंग रूपे होय. ते सम्यक्त्वदर्शनने नमीजे है GANGANAGACASSACREGA%ANCE in Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy