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________________ A RRAHARAS बे, अने व्रतरूप शाखा ने, जावनारूप प्रतिशाखा , अने घनघाती कर्मक्षयरूप फूल बे, तथा । तेरमा अने चौदमा गुणगणारूप फल ते शेष पंच्याशी प्रकृति सत्ताक्षयरूप आतपे करी आत्मा | पुद्गलथी जिन्न थयो. ते बंधननो छेद थयो. ते वारे जीवनी गति उंची थाय, तेथी सिक थाय. कर्मबंधननो वेद थयो, माटे तेने बंधनदयोग कहीए. चोथो जेम कुंजार प्रथम वेगथी चक्रने | दंडे करी नमाडे, पठे को हाथ न लगाडे तोपण ते चक्र पोतानी मेले फस्या करे, तेम जीव है असंगक्रियाने बले कर्ममल रहित थ रह्यो बे, अने उपाधिनां कारण सर्व मटी गयां , तेथी संग रहित थका जीवनी गति उंचीज होय. एम चार प्रकारे करी एक समय मांहे जेनी (ऊरध के०) उंची गति , पनी अचल २ ते सिझने तमे (रंग के०) हर्षे करी समरो, नमो ॥७॥ निर्मल सिहशिलानी नपरे, जोयण एक लोकंत ॥ सादि अनंत तिहा स्थिति जेदनी, ते सि६ प्रणामो संत रे ॥ नविका ॥ सिइचक्र० ॥ ७ ॥ अर्थ-(निर्मल के० ) स्फटिक रत्नमयी मल रहित जातिवंत अर्जुन सोनानी जे सिकशिला ते 8 उपरे उत्सेध अंगुलने माने करी एक योजनने अंते लोकनो अंत . ते योजनना चोवीश नागर है करीए, तेमांत्रेवीश नाग हेग पमता मूकीए अने उपरले चोवीशमे नागे सर्व सिझना जीव अवगाही रह्या .तिहां अनेक प्रकारनी अवगाहना दे. कोई पलांगी वाल्या सिझ थया तेनी तेवी अवगाहना. को काउस्सग्गमुखाए सिह थया तेनी तेवी श्रवगाहना जाणवी. उत्कृष्ट पांचसे धनुष्य शरीर-| वाला सिझ थया, मध्यम सात हायना शरीरवाला अने जघन्य बे हाथना शरीरवाला सिक थया. ते जायगा उंचपणे त्रसो तेत्रीश धनुष्य, एक हाथ ने चार अंगुल प्रमाण बे. तिहां सर्व NSARKARSASARAKAARAKAKARSA Sain Education international For Personal and Private Use Only wow.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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