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________________ मयणा तस वयणां सुणी रे लो, हियमे उख न माय रे ॥ वालेसर ॥ ढलक ढलक आंसु पमे रे लो, विनवे प्रणमी पाय रे॥ वालेसर ॥ वचन विचारी उच्चरो रे लो, तुमे गे चतुर सुजाण रे॥वाले॥वचन ॥५॥ एद वचन केम बोलीए रेलो, एणे वचने जीव जाय रे॥वाले ॥ जीवजीवन तुमे वालदा रे लो, अवर न नाम खमाय रे ॥ वाले०॥ वचन ॥६॥ पबिम रवि नवि जगमे रे लो, जलधि न लोपे सीम रे ॥वाले० ॥ सती अवर श्छे नहीं रे लो, जां जीवे तां सीम रे ॥ वाले ॥वचन ॥७॥ - अर्थ-एवां जंबर राणानां वचन सांजलीने मयणासुंदरीना हैयाने विषे पुःख समातुं नथी, ते वारे आंखमांथी ढलक ढलक आंसु पमते थके जंबर राजाने पगे लागीने ए रीते विनंति करे जे हे वालेसर ! तमे चतुर बो, सुजाण बो, माटे जे वचन ( उच्चरो के०) बोलो ते विचा-13 रीने बोलो. जे वचन थकी मारो जीव ःखित न थाय एवं वचन बोलो तो सारं ॥५। स्वामिन् ! एवां वचन मुखमांधी केम बोलो हो ? ए वचनथी तो माणसनो जीव जाय. हे जीवना जीवन ! मारे तो तमेज वाहा डो, परंतु (अवर के०) वीजा पुरुषतुं तो माराथी नाम पण खमाय नहीं ॥ यतः॥ कमलिनी जलमां वसे, चंदो वसे आकाश ॥ जे जिहारे मन वसे, ते तिहारे पास ॥ १॥ तथा ॥ गतियुगमथ चाप्नोत्यत्र पुष्पं वरिष्टं, त्रिनयनतनुपूजां, वाऽथ वा नूमि-18 पातम् ॥ विमलकुलनवानामंगनानां शरीरं, पतिकरकमलं वा, सेवते सप्तजिह्वम् ॥ ॥ प्रमाणं यो न जानाति, नोजने वचनेषु च ॥ अतिनोक्ता चातिवक्ता, प्राणी स प्राणघातकः ॥३॥ इति । ॥६॥ जेम रवि जे सूर्य बे, ते को वारे पण पश्चिम दिशाए उगे नहीं, तथा जलधि जे समुज जे, ते पोतानी सीम एटले मर्यादा लोपे नहीं, तेम जे सती ने ते पण जिहां लगे आ शरीरमा Sain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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