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________________ श्रीराम ॥१७॥ चोथे खंडे पूरी थर, ढाल नवमी चढते रंग ॥ मेरे ॥ विनय सुजश खंम.४ सुख ते लदे, सि-चक्र थुणे जे चंग ॥ मेरे ॥ मननो० ॥१७॥ अर्थ-ए चोथा खंमने विषे नवमी ढाल चढते रंगे पूरी थइ. जे (चंग के० ) मनोहर सिकचक्रनी स्तवना करे ते विनय अने जला यशरूप सुखने पामे ॥ १७॥ ॥दोहा॥ हवे राजा निज राजनी, लची तणे अनुसार ॥ उजमगुं तेह तप तणुं, मामे अतिहि नदार ॥१॥ __ अर्थ-हवे श्रीपाल राजा पोताना राज्यनी लक्ष्मीने अनुसारे ते तपर्नु उजमणुं विधिए करी| अति मोटाइए आदर सहित बहु मानथी करवा मांमतो हवो. ते उजमणानो विधि श्रागलनी | & ढाल माहे कहे जे ॥१॥ ॥ ढाल दशमी ॥ जोलीमा हंसा रे विषय न राचीए ॥ ए देशी॥ विस्तीरण जिननवने विरचीए, पुण्य त्रिवेदिक पीठ॥ . चंचंडिका रे धवल जुवनतले, नव रंग चित्र विसीह॥१॥ अर्थ-हवे उजमणानो विधि कहे . ( विस्तीरण जिननवने के०) को एक विस्तारवंत एवा है। श्रीअरिहंतना देरामां ( पुण्य के०) जाणीए पुण्यनां पीज रच्यां होय नहीं ? एवा त्रण गढरूप | Incom (त्रिवेदिक पीठ के०) त्रिवेदिका एटले त्रण पीठ स्वरूपे ( विरचीए के०) रचीए एटले रचना करे, ते त्रण वेदिका उपरा उपर समोसरणनी पेरे रचीए. ते चंडचंडिका एटले उज्ज्वल जाणीए चंडमानी ज्योतिज होय नहीं ? एवी धवल एटले उज्ज्वल नुवनतले एटले नुवननी धरती तेने Sain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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