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________________ केटलेक ठेकाणे अवगत एटले माठी गतिना सुखनो वास बे एवो अर्थ करेलो ले ॥२॥ वेसर असवारी करी रे, रोगी सवि परिवार ॥ बले बावलीये परिवस्यो रे, जिस्यो दग्ध सहकार ॥ च ॥ कर्म० ॥ ३॥ केश टुंटा केश पांगला रे, केइ खोमा केइ खीण ॥ केश खसिया केइ खासिया रे, केइ दर के दीण ( दीण ) ॥ च॥ ॥ कर्म ॥ ४ ॥ एक मुखे माखी बणबणे रे, एक मुख पडती लाल ॥ एक तणे चांदां चगे रे, एक शिर नाग वाल ॥च ॥ कर्म ॥५॥ अर्थ-जेणे वेसर एटले खच्चर तेनी उपर असवारी करी ने तथा जेनो परिवार सर्व रोगी | एवो जंबर राणो कोढीयाना परिवारे परिवस्यो थको केवो शोने के ? तो के जेम (बले बावलीये के ) वन मांहे घणां बावलनां वृदो होय ते सर्व बलीने तुंग थर गयां होय, तेवां घणां वावलनां वृदोए करी परिवस्यो एटले वीट्यो थको ( दग्ध के० ) बलेलो एवो सहकार एटले यांवानुं वृद जेवू शोने, तेवो उंबर राणो कोढीयाने परिवारे परिवस्यो थको शोने ने ॥३॥ ते उंबरनो परिवार केवो ? ते कहे जे. केटलाएक तुंग , केटलाएक पांगला , केटलाएक खोमा बे, केटलाएक दीण थर गया बे, केटलाएक खसिया एटले अंग उपर खस थयेली एवा , माटे खाजीयारा , केटलाएकने खांसी थयेली ने, केटलाएकने दपुर एटले दादर थ ने अने, केटलाएक तो रोगने प्रनावे करी (दीण के० ) रांक जेवा थर गयेला ॥ पागंतरे ( हीण के ) रोगे करीने हीण शरीरवाला थइ गया ॥४॥ एकना मुख उपर तो माखी वणवणाट करी रही बे, एकना मुखमाथी लाल पडे , एकना शरीर उपर चांदा एटले चागं चगचगी। रह्यां ने अने एकना शिर उपरना वाल जे मोवाला ते पण रोगना प्रजावे नासी गया वे ॥५॥ Jain Education Interational For Personal and Private Use Only ww.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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