SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 289
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४ अर्थ-वली सुचटनी श्रेणी माहे जुझता थका केशक सुजटनां मस्तको बेदा गयां डे, ते वारे । ते सुनटोनां एकलां धमज मात्र युद्ध करे , तेनी उपर कवि उत्प्रेक्षा करे ले के ( केश जट के०) कोश्क सुनटे युद्ध करतां करतां विचास्युंजे पोतानी पासे नार होय तो खुले मने युद्ध न थाय, एवं | मनमा धारीने (नार परि सीस परिहार करी के० ) पोताना मस्तकने नारनी परे जाणीने तेने * X वेगलु मेव्युं , कारण के हलवू थवाथी युद्ध अवल रीते थाय, माटे मस्तकनो परिहार करी| पढी ( रणरसिक के० ) रणने विषे रसिक थयो थको ( कबंधे के०) मस्तक विनाना धडे करीने है। ( अधिक जुमे के०) घणो घणो जुफे बे. हवे ते धम जे जे ते हाथमां खड्ग लश् जुळे , तेनी उत्प्रेक्षा करे ने ते एवी रीते के जाणीए ते सुनटो युद्ध करवाने सावधान थया हता, ते वारे एवो कांश संकेत कस्यो हतो जे शत्रुने जीतवो, अथवा पोताना जीवनो नेह करवो, अथवा लाखोगमे माणसोनो संहार करवो. ते (पूर्ण संकेत के० ) संकेत पूर्ण थयो जाणीने तेना (हित-15 हेत के०) हितना कारण थकी (जय जय रवे के ) जय जय शब्दे करी धम जुळे बे. हवे धड जुके ने तिहां कवि कहे डे के हुँ एम मार्नु बु जे ए धम जुतुं नथी, परंतु संग्राम करी पोते। जयपणुं पाम्युं तेने अर्थे जय जय रवे करी ( नृत्य मनु करत संगीतबके के०) जाणीए हर्षनरे |संगीतबक नाटकज करतुं होय नहीं ? ॥ १४ ॥ नूरि रणतूर पूरे गयण गमगमे, रथ सबल शूर चकचूर नांजे ॥ वीर हक्काय गय दय पुले चिढं दिशे, जे हुवे शूर तस कोण गांजे ॥चंग॥१५॥ __ अर्थ-हवे सुन्नटोनुं शूरपणुं वखाणे . तिहां संग्राममां (नूरि के० ) घणां एवां (रणतूर के०) संग्रामनां वाजिन जे नगारां, शरणार, ढोल अने रणशिंगां प्रमुख तेना शब्दने (पूरे के० ) स-| मूहे करीने ( गयण के०) आकाश ते ( गडगडे के०) गरिव करी रयुं . ( सबल शूर के)81 CCCCCCCCCCCROCAREERICAUSA Sain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy