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________________ खंग.४ श्री राम जोमी पोताने मस्तके लगामी नम्र थइ माथु नीचुं नमावीने श्रीपाल राजानी सेवा करे . हवे एक ॥१३३॥ समयने विषे मतिसागर प्रधान श्रावीने श्रीपालने विनवे ने ॥ २५ ॥ दोजी चोथे खेमे ढाल, बीजी हुइ सोहामणी दो लाल ॥ दोजी गुण गातां सि चक्र, जश कीरति वाधे घणी दो लाल ॥२६॥ 21 अर्थ-ए चोथा खंमने विषे शोचनीय बीजी ढाल संपूर्ण थ. श्रीसिद्धचक्रजीना गुण गातां | थका एटले स्तवतां थका घणो यश श्रने कीर्ति वधे ॥२६॥ ॥दोहा॥ मतिसागर कदे पितृपदे, ग्वी बालपण जेण ॥ उगवीयो तो तुज अरि, ते सही दित्तमएण ॥१॥ अरि करगत जे नविलीए, शक्ति खते पितृरज ॥ लोक दसे बल फोक तस, जेम शारद घन गऊ ॥२॥ ए बल ए शहिए सकल,सैन्य तणो विस्तार॥शुंफलशे जोलेशो नहीं,ते निज राज उदार ॥३॥ अर्थ-हवे मतिसागर प्रधान श्रीपालने कहे डे के वालपणे तमने तमारा पितृपदे एटले पिताने |8| पाटे थाप्या हता, तिहाथी (जेण के० ) जे तमारा (श्ररि के०) शत्रुए तमने उगड्या, ते तमारो 3 शत्रु ( सही के० ) निश्चे ( दित्तमएण के० ) दीप्तमदेन एटले दीपता मदे करी युक्त ने ॥१॥ मादे थरि जे शत्रु तेना करगत एटले हाथमां गयुं एवं जे ( पितृरऊ के०) पितातुं राज्य तेने पोतानी बती शक्तिए जे न लीए तो तेनी लोक मांहे हांसी थाय अने तेनुं बल पण फोक एटले | ॥१३३॥ व्यर्थ जाणवं. केनी पेठे ? तो के जेम शरदकालनो घन जे वरसाद ते फोकट गर्जना कस्या करे, पण पाणीनुं टीपुं वरसे नहीं, तेनी पेरे निरर्थक जाणवू ॥२॥ माटे जो ते पोतानुं उदार राज्य तमे 81 JainEducationainternational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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