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________________ | अर्थ-हवे मालव देशना राजाने तेनो प्रधान कहे जे के जे प्रबल प्रतापी पुरुष होय तेनी उपर कोपीए नहीं. तिहां दृष्टांत कहे बे के जेम पंश्रीजनने मार्गे चालतां सूर्यनो आकरो ताप लागे,8 ते वारे ( खेह के) धूलनी पसली जरीने सूर्यनी सामी नाखे तो ते धूल पानी श्रावी तेना है। & पोताना मुख उपर पडे, माटे सूर्य सामी धूल नाखीने शुं करीए ? तेम प्रबल प्रतापी उपर क्रोध करवो ते पण पोतानेज फुःखदायी थाय ॥१॥ नहत उपरे आथड्यु, पसरंतुं पण धाम ॥ उदाए जिम दीपर्नु, लागे पवन उद्दाम ॥२॥ PA अर्थ-वली प्रधान कहे जे के हे राजन् ! अंधारुं ते देशजाषाए उहत शब्दे अंधकार कहे . IP ते अंधकारनी उपरे श्राथड्यु, एटले आवी पड्यु, (पसरंतुं के०) ते मांहे विस्तार पामतुं, परंतु एम| नहीं जे श्राथडीने पालु आवी पड्यु, अर्थात् याकरा अंधकारने टाले एवं दीपy ( धाम के० )18 तेज , एवं तेज पण ( उद्दाम के०) श्राकरो पवन लागे ते वारे उला जाय. इहां प्रधाने * |पोतानी निपुणाइए राजाने अरज कीधी, तेमां एवं सूचव्युं जे तमे तो दीवा सरखा दो, तमा तेज अस्खलित , ते बीजा अंधारा सरखा घणा राजाऊनी उपर पड्यु, ते सर्व राजाउँने तमे || वश कीधा बे, पण ए हमणां श्रावेलो राजा ते उद्दाम पवन सरखो , माटे ए जेम कहे ते रीते 151 करवू, एने समजावी वोलाववो युक्त , जेम आकरो पवन लागवाथी दीपकने एक स्थल यो| उपामी बीजे स्थले मूकतां दीपकपदनी हानि थती नश्री, महत्ता घटती नथी, तेम एने अनुकूल प्रवर्त्ततां आपणने कांश हानि नथी. एम प्रधाने पोताना राजाने दीवा समान कही तेनुं | महत्त्व राख्युं, अने तेने उद्दाम पवननी उपमा थापी. जवंत जावे बलवान् सूचव्यो, एटले प्रबल साथे विरोध करवो युक्त नथी. १. बीजो अर्थ उहत एटले अज्ञान तत्पर्यंत तेनी उपर|8| लाइ जाय. इहां प्रधाने । काधी, तेमां एवं सूचव्यु तज अस्खलित ने, ते वीज San Education International For Personal and Private Use Only
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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