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________________ ॥ चोपाई ॥ खंड खं मीठा घणी, श्री श्रीपालचरित्रे जणी ॥ ए वाणी सुरतरुवेलडी, किसी जाख ने किसी सेलडी ॥ १ ॥ अर्थ - खं खंगने विषे घणी मीठाश ते श्री श्रीपाल राजाना चरित्रे जणी, एटले वर्णवी बे. ए श्री जिनेश्वरनी वाणी ते कल्पवृनी वेल समान मनोवांबित पूर्ण करनारी बे. ए वाणीनी बागल झाखनी मीठाश तथा शेलडीनी मीठीश ते शी गणती मां बे ? ॥ १ ॥ Jain Educationa International ॥ इति श्रीमन्महोपाध्याय श्री विनय विजयगण्युपत्रांते महोपाध्याय श्रीयशोविजयगषिपूरिते सिद्धचक्रमहिमा धिकारे श्री श्रीपालचरित्रे प्राकृतप्रबंधे विमलेश्वरदेवेनार्पित हारप्राप्तिमनोजीष्टदायक षट्कन्यापाणिग्रहण सर्वसैन्यसहितो यिनी नगरी प्राप्तिप्रभृतिकथने तृतीयः खंगः समाप्तः ॥ ३ ॥ ॥ इति श्री श्री पालचरित्रे तृतीयखंडस्य बालावबोधः समाप्तः ॥ ३ ॥ -504 For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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