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________________ श्री राम श्रापणने पण सोनानी वीटीमा अकीक जड्यानी पेठे जैनमतना जाण विना बीजा अकीक खंग.३ जेवाने वरवो नहीं, तथा व्यर्थ गर्जारव करनारा मेघनी पेठे बहारथी सारो देखाय अने मांहे ॥१९॥ का माल न होय तेवाने पण वरवो नहीं, परंतु आपणे तो परीक्षा करीने जैनमतनो जाण होय तेज ( वर के० ) जरिने वरवो के जेम कर्मकुजोमालाप न होय एटले कर्मे करी कुजोडानो आलाप एटले मलq वा संजाषण करई ते न थाय ॥७॥ कहे पंमिता परनुं चित्त, नाव लखीजे सुणीय कवित्त ॥ सादिबा ॥ सीथे पाक सुन्नट आकारे, जिम जाणीजे शु६ प्रकारे ॥ साहिबा ॥७॥ करीय समस्या पद तुमे दाखो, जे पूरे ते चित्त मांदे राखो ॥ साहिबा ॥ इम निसुणी कहे कुंअरी तेह, वरु समस्या पूरे जेद ॥ साहिबा ॥ ए॥ I अर्थ-ते वारे अंगारसंदरीनी पांच सखी मांदेली पहेली सखी जे पंडिता नामे बे, ते एवं कहे डे के परना चित्तनो नाव ( सुणीय कवित्त के० ) लोकनाषाए एम सांजलीएबीए के कवित्त । सांजलीने परना चित्तनो नाव (लखीजे के०) जाणीए. एवं कविनी उक्तिए सांजलीए बीए, एटले आपणा चित्तमां जे वात होय तेनो नावार्थ एक पदमा सूचवीने जे परीक्षा आपे तेनी18 पागल ते पद कहे. पडी ते आपणा मुखथी एक पद सांजलीने जे कांश थापणा मनमां होय । ते प्रमाणे श्राखुं कवित्त करी आपे तो ते पुरुष जैनमतमा प्रवीण जाणवो. जेम (पाक के) रसोश्नी (सीथे के ) एक दाणे करी परीदा थाय बे, एटसे रसोइ चूले मूकेली होय, तेमांथी एक दाणो चांपी जोइए तो तरत पाकी ले के काची बे ? एवी मालम पडी जाय, तथा ( सुजट ॥११॥ के० ) सीपाश् जे जे तेनी परीक्षा ते श्राकारे करी जाणवामां आवे ने एटले तेनी मुखाकृति तू दीगथी तेमां केवा प्रकारनां शक्ति बल पराक्रम बे? ते जेम शुक प्रकारे जाणीजे ॥॥ तेम तमे है। SAMACASSAMACHAMASALAAMAALAALASS Sain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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