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________________ हर्षायमान थयु. हवे ते समये त्रण नुवनमा सारजूत एवो जे श्रीपाल कुंवर, तेना गलाने विषे | वरमालिका ते गुणसुंदरी ( उवे के०) स्थापती हवी, अने ते बालिका जे राजकुंवरी ते पोताना अवतारने धन्य मानवा लागी ॥ पागंतरे ॥ ते कुंवरी वीणानो जे (नाद के०) शब्द तेनो (विनोद | के ) आनंद तेणे करी खरेखरी रीऊ पामीने श्रीपाल कुंवरने कंठे वरमाला थापती हवी ॥२०॥ वामन वरीयो जाणी, नृपादिक फुःख धरे ॥ दो लाल ॥ नृपादिकम् ॥ ताम कुमार स्वनावर्नु, रूप ते आदरे ॥ दो लाल के ॥ रूप० ॥ शशि रजनी हर गौरी, हरि कमला जिस्यो॥ हो लाल ॥ दरि० ॥ योग्य मेलावो जाणी, सवि चित्त नबस्यो ॥ दो लाल ॥ सवि० ॥ ॥ निज बेटी परणावी, राजा जली परे ॥ दो लाल ॥ राजा ॥ दीए दय गय धण कंचण, पूरे तस घरे ॥ दो लाल ॥ पूरे ॥ पुण्य विशाल जुजाल, तिदां लीला करे ॥ दो लाल ॥ तिहां ॥ गुणसुंदरीनी साथ, श्रीपाल ते सुख वरे ॥ हो लाल ॥ श्रीपाल० ॥ ३०॥ __ अर्थ-इहां कुंवरीए वामणाने वस्यो, एवं जाणीने जे वारे नृपादिक एटले कुंवरीना पिता प्रप्रमुख सर्व पुःख धरवा लाग्या, ( ताम के०) ते वारे कुंवरे पण पोतानुं मूल खजावनुं जे रूप हतुं । ते श्रादयुं, पड़ी ते कुंवरी अने कुंवरनुं जोम के शोजवा लाग्युं ? के जेम (शशि के०) चंडमा अने रजनी जे शरद्पूनमनी रात्रि ए बेहुनुं जोडं जेवू शोने तेवं, तथा हर जे महादेव अने| गौरी जे पार्वती ए बेहुनुं जोड़ें जेतुं शोने तेवं, तथा हरि जे श्रीकृष्ण अने कमला जे लक्ष्मीजी| ए बन्नेनुं जोडं जेवू शोने तेवू श्रीपाल कुंवर अने गुणसुंदरीनुं जोडं शोजवा लाग्यु. एवो योग्य -KA-NCROCARICROCCARRORSCRECORICALSCRECASTRICROCHAR Sain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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