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________________ श्री० रा० I will जागोले यावी उजेलो देखतो हवो, थाने तिहां दरवाण जे नगरना दरवाजाना साचवनारा लोको बेतेने पण वीणा वगाडता ने राजकुंवरीनां रूप, कला घने गुणोनुं गायन करता थका दीवा ॥ १३ ॥ चित्त मांदे चिंती रूप, करे तिदां कुबडुं ॥ हो लाल || करे० ॥ उनम शीश निवाड, वदन जिस्युं तुंबडुं || दो लाल ॥ वदन० ॥ चूए चूंची यांख, दांत सवि सोखला || दो बाल ॥ दांत० ॥ बांका लांबा दो, र ते मोकला || दो लाल || रहे० ॥ १४ ॥ चिहुं दिशि बेतुं नाक, कान जिम ठीकरां ॥ हो लाल ॥ कान० ॥ पूंठ उंची अति खुंध, दिये बहु टेकरा ॥ दो लाल ॥ दिये० ॥ कोट केम तर पेट, मली गयां दुकडां ॥ दो लाल ॥ मी० ॥ टुंकी सायल जंघ, दाथ पग टुंकमा ॥ दो लाल ॥ दाथ० ॥ १५ ॥ ठक ठक ठवतो पाय, नयर मांदि नीकल्यो । हो लाल ॥ नयर० ॥ तेद नीदाली लोक, खलक जोवा मल्यो | दो लाल ॥ खलक० ॥ जिदां शीखे बे वीण, कला तिदां यवीयो || दो लाल || कला० ॥ याव्या राजकुमार, मली बोलावी यो ॥ दो लाल ॥ मली० ॥ १६ ॥ - पढी पोताना चित्तमां कुबडानुं रूप करवानुं चिंतन करीने कुवमानुं स्वरूप कस्युं, ते या प्रमाणे के प्रथम उजड शीश एटले मस्तक उंचुं बे, ललाट पण उंचुं बे, वदन जे मुख ते तुंबमा जेवुं बे, छाने खो चूंची बे, तेमांथी पाणी चूए बे एटले ऊरे बे, तथा सर्व दांत सोखला थइ गयेला बे, तथा होठ तो वांका, लांबा ने मोकला रहेला बे, एटले एक होने बीजो होठ मलतो नथी ॥ १४ ॥ तथा नाक चारे दिशाए बेसी गयेलुं बे, कान तो जाणे ठीकरांज होय Jain Educationa International For Personal and Private Use Only म. ३ ॥ एए॥ www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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