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श्रीरा
रास.
श्रीविनयविजयजी तथा यशोविजयजी विरचित श्रीश्रीपाल राजानो रास
(श्री नव पद महिमावर्णनरूप)
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आ पुस्तक श्रीचतुर्विध संघने जणवा वांचवा अर्थे उपयोगी जाणी रंगीन चित्रोनो सुधारो वधारो करी यथाशक्ति शुरू करावी
उपावी प्रसिद्ध करनार श्रावक भीमसिंद माणेक, जैन पुस्तक वेचनार तथा प्रसिद्ध करनार.
मांमवी, शाकगल्ली, मुंब.
॥१
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आवृत्ति पांचमी.
वीर संवत् २४४३.
विक्रम संवत् १९७३ भादरवा सुदि पंचमी.
सने १९१७.
स
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