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________________ - बीजा खमने विषे ए रीते बही ढाल कही. ते सांजलतां थका श्रीविनयविजयजी उपाध्यायजी181 कहे के श्रोताजनोना धरने विषे मांगलिकनी माला होजो ॥ ३० ॥ ॥दोहा॥ तव दरखे कुंवर नणे, धवल शेग्ने तेडी ॥ जइए देव जुदारवा, आवो जुर्मति फेडी॥१॥ शेठ कहे जिनवर नमो, नवरा तुमे निचिंत ॥ विण उपराजे जेहनी, पहोंचे मननी खंत ॥२॥ अमने जमवानो नहीं, घमी एक परवार ॥ सीरामण वालु जिमण, करीए एकज वार ॥ ३ ॥ हवे कुंवर जावा तिहां, जब थाये असवार ॥ दरख्यो देषारव करे, तेजी ताम तुखार ॥ ४॥ साथ लेइ जिनदासने, अवल अवर परिवार ॥ अनुक्रमे आव्या कुंवर, ऋषनदेव दरबार ॥५॥ अर्थ-ए व्यतिकर सांजल्यो, ते वारे श्रीपाल कुंवर धवल शेग्ने तेमीने हर्षे करी कहे जे के हे शेवजी ! हे पिताजी ! तमे धर्मति जे मागी मति तेने फेमीने मारी साथे श्रावो, तो देवी जहारवा जश्ए ॥ १॥ ते सांजली शेठ कहेवा लाग्यो के तमे निरंतर कामकाज कस्या विना । नवरा बेग बो. वली विण उपराजे एटले उपार्जन कस्या विना पोतानी मेले लक्ष्मी मलती जाय , |तमारा मननी खंत पूर्ण थाय , माटे तमे निश्चिंत गे, तेथी तमे सुखे श्रीजिनवरने (नमो के०) नमस्कार करो ॥२॥ अमने तो व्यापारनां कामकाज करवामांथी जमवाने माटे एक घमी वार । पण परवारी शकीए तेम बनतुं नथी, तेथी सीरामण, वालु अने जमण, ए त्रणे एकज वार | करीए बीए ॥३॥ हवे जे वारे श्रीपाल कुंवर तिहां जवाने माटे घोमा उपर स्वार श्रया, (ताम | के०) ते वखते ( तेजी के०) को दिवस चाबुक मारवो न पडे एवी जातिनो ( तुखार के) Jan Education International For Personal and Private Use Only
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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