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________________ ॐ ॐॐॐॐॐ जाए, श्रीपालन बोलवं सांजली ते दश हजार सेवकने जे पगार अपाय ने तेना धननुं लेखं करीने धवल शेठ बे हाथ जोमी कहेता हवा के हे महाराज ! अमे वणिकजन एटले वाणीया लोक बीए, माटे अमाराथी एकज जणने क्रोम सोनैया केम थापी शकाय ? ॥६॥ . कुंवर कदे सेवक थइ, दाम न कालुं दाथ ॥ पण देशांतर देखवा, हुं आबुं तुम साथ ॥ ७॥ नाथु ले वदाणमां, द्यो मुज बेसण गम ॥ __मास प्रते दीनार शत, नाडु परग्युं ताम ॥७॥ अर्थ-ते सांजली कुंवर कहेवा लाग्यो के हे शेठजी! हुँ पण सेवक थश्ने तमारो (दाम के०) पैसो हाथमां जावू नहीं, परंतु देशांतर देखवानी मने श्वा माटे ते जोवाने अर्थे हुँ तमारी साथ थावु बु॥७॥ ते माटे तमे मारी पासेथी नाडं लश्ने मने वहाणमां बेसवानी जग्या| श्रापो. पड़ी शेठे मास प्रत्ये सो सो सोनामोहोर नासु लेवार्नु परठ्यु एटले ठराव कस्यो ॥॥ ॥ ढाल चोथी ॥ राग महार ॥ जोहो जाएयु अवधि प्रयुंजीने ॥ ए देशी ॥ जीदो कुंवर बेगे गोंखडे, जीहो महोटा वाहण मांदि ॥ जीदो चिटुं दिशि जलधि तरंगनां, जीदो जोवे कौतुक त्यांदि ॥ सुगुण नर, पेखो पुण्य प्रनाव ॥जीदो पुण्ये मनवांबित मले, जीहो दूर टले ऊःख दाव ॥ सुगुण नर, पेखो० ॥१॥ए आंकणी॥ अर्थ-हवे श्रीपाल कुंवर मोटा वहाणना गोखने विषे बेगे थको चारे दिशाए (जलधि के०) समुख तेना कबोल उबले जे ते संबंधी कौतुकने तिहां जोतो हवो, माटे हे सुगुण पुरुषो! तमे |पुण्यनो प्रजाव तो जुडे ! के जेने पुण्य सखायी होय तेने सर्व मनोवांबित मली आवे , अने। वली ते प्राणीना दुःखना दाव सर्व पूर टली जाय , एवं पुण्यनुं माहात्म्य ॥१॥ GANESCREDARASTRACANCCOURSEACOCONCCCCC श्री. १३ Sain Education Inter For Personal and Private Use Only wow.jaimalibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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