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________________ यशोधर' ॥६ ॥ FEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE मा मैवं । पितरं रक्ष रक्ष मां ॥ ५५ ॥ किं करोमि क गामि । का शक्तिः का गतिर्मम ॥ E|चरित्रं जवितैव युगांतो मे । हा प्राप्तो मरणक्षणः ॥ ५ ॥ इत्यधैर्यसमाकृष्टा । संचुकोच सिराततिः॥ अस्थिसंधानबंधानां । ग्रंश्रयः श्लश्रबंधनाः ॥ ५७ ॥ शून्यं त्रिभुवनं पश्यन् । विलुप्तेंख्यिविक्रमः॥अगाधसाध्वसध्वांत-कूपनिर्मनमानसः॥ ॥ पंकसंकरसंकाश-पिचलांगपरिग्रहः॥ तेन कंगतप्रायो । गृहीतः कंपकंदरे ॥ ५ ॥ नपकासरमानीय । विदार्य फललीलया । स मे शूलाकरोतिस्म । मांसानि मगधेश्वरः ॥ ६० ॥ मेषः सुरेदत्तोऽहं । महिषश्चश्मत्यपि ॥ पुरेव पुनरेकस्या । चितायां निहितौ चिरात् ॥ ६१ ॥ पौरोगवेन परितः परिपाच्यमानौ । राझा नवांतरसुतेन विडंब्यमानौ ॥ को नाम 'वामिव नृशं भुवि नाग्यहीनौ । प्राणैरुन्नावपि रुषेव ततो निरस्तौ ॥ ६ ॥ स. मकालमेव समकार्यकारिणोः । समवेदनासमविपाकवत्तया ॥ अजनिष्ट मृत्युरजवाजिवैरि B॥६ गो-रुन्नयोः पुराणनवमातपुत्रयोः॥६३ ॥ दहनखंडनताडनन्नर्जन-प्रन्नतिदुःखसहस्ररुत्त १ आवामिव । EEEEEEEEEEEEEEEEEFEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE FFFFFEEE ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600192
Book TitleYashodhar Charitra
Original Sutra AuthorManikyasuri
Author
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1910
Total Pages130
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size9 MB
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