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________________ चरित्र यशोधर| हा कुपात्र रतिरुग्रनिग्रहा । हा विकारनिधिरंगना भुवि ॥ २५ ॥ अनृतं साहसं माया। मूर्ख- Eत्वमंतिलोन्नता ॥ अशौचं निर्दयत्वं च । स्त्रीणां दोषाः स्वन्नावजाः ॥ ३० ॥ सप्तदोषजक॥१॥ लंकपंकिला । जन्मतोऽपि यदिवेद योषितः ॥ प्राकृते विघसनोजने जने । किंच कृत्यमिह सेवकांधमे ॥३१॥ याति ननमनयापकष्टयालाघवं गणधरः स मे सतः॥ बायया म. लिनया यतः हिते-लीबन नगवतो हिमत्विषः ॥ ३२ ॥ कानविष्यदिति विश्लशं मनो । मोहबइमवलामिमां प्रात ॥ एतदंायपरिणाममंदृिशं । नाघियास्यमधुना जडो यदि ॥ ३३ ॥ नत्ततार खलु शृंखलाद्य में । सेयमाशु निजशृंगयोगतः ॥ साधुवृत्तमहमप्यतः परं । स्नेहशून्यहृदयः सुखी स्थितः ॥ ३४॥ सुत्यजा तदजनिट मे प्रिया । संयम नियमतो जिघृक्षतः ॥ त्यज्यते हि मलिनत्वदर्शना-स्कूटघाटत्वतः कु. घाटकः ॥ ३५ ॥ एवमेव मनसा विचिंतयं-नाजगाम निजवासमंदिरं ॥ विस्मयस्तिमित ए- व तत्कणं । सांस्नैइतमसा वशीकृतः ॥ ३६॥ नदितवति वितंडे मंझले चंडधान्न-स्तिमिर १ नविष्टलोजनकर्तरि । FEE.EFFEFEFEEEEEEEE GELECE EEEEEEEEEEEE GEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE १॥ Jan Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600192
Book TitleYashodhar Charitra
Original Sutra AuthorManikyasuri
Author
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1910
Total Pages130
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size9 MB
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