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________________ स्थान वाशण आव्योढुं हुं आज॥जो दुवे एषपीए, आपो मुनपीए॥७॥मुजघर ले बहुपाक, व्योमुनिवर कहे ॥३॥ चाक ॥ लाव्यो जश् करीए, मन उलटधरीए॥णा अनिमिष नयण निहाल, सुर जाएयो ततकाल॥ सुरपिंड ए सहीए, मुज कल्पे नहींए ॥१०॥ तिहांधी चाल्यो अणगार, सुर कोप्यो तेणिवार ॥ सघले अनेषपीए, कीधो तेन्नपीए ॥ ११॥ पाक न पामे शुः, वोहोरे नहीं विरुः ॥ मुनि घर घर नमेए, भरियो नपशमें ए॥१२॥ अनुक्रमें मुनिवर तेह, सुर सारथवाह गेह ॥ आव्यो मुनिवरुए Valमनजोवे सुरुए ॥ १३॥ पाम्यो पाक निरदोष, कीधो पुण्यनो पोष ॥ दान सुपात्रं दीयोए, धन्य INएहनो जीयोए ॥१४॥रलियायत सर होय. सरतणे घरे सोय॥ रत्नवर्षण थयोए,' लह्योए ॥ १५ ॥ प्रत्यक्ष सुरवर पाय, लागे मुनिवर पाय ॥ धनद प्रशंसियोए, मुजमन हीसीयोए Rel१६॥ धन्यधन्य तुज अवतार, धन्यधन्य तु अगार ॥ मुनि वेयावच्च करेए, कोश पुण्ये नरेए ॥ १७ ॥आव्यो सनिली वात, जंगम तीरथ जात ॥ मुजनें ए थए, भवनावठ गए vilu १७ ॥ सफल यो अवतार, दीगे तुज दीदार ॥ आज आनंद अयाए, पाप दूरे गयाए ॥ १ ॥ Ka स्तवना करे श्म देव, चरणे लागी हेव । सुरलोकं गयोए, सुर पावन अयोए ॥श्णा अर्जित अरिहंत कर्म, राज ऋषीश सुधर्म ॥ वात्सल्य मनधरयो ए, बहश्रतनो करयोए ॥ १॥ नवमे सुरथयो ताम, ग्रैवेकें अन्निराम ॥ तिहांथी चवीकरीए, विदेहें अवतरीए ॥ २२ ॥ श्राशे जिनवर तेद, श्रुतशील मुनिवर जेह ॥ थाशे गणधरुए, सहुने सुखकरूए ।॥ २३ ॥ महेपाल नूपाल, सन्निलि चरित्र रसाल ॥ बहुश्रुतनो करोए, वात्सल्य मन धरोए ॥ २४ ॥ मनमां धरे आणंद, कहे जिनहर्षमुणिंद ॥ वात्सल्य कीजीयें ए, शिवपद लीजीयें ए ॥ २५ ॥ इति षष्ठस्थानके महेंपाल नृप कथा ॥ 亚里亚亚亚里亚里亚亚亚亚里亚亚里亚里亚里亚 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.janmenurary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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