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________________ लेई आशीष चल्यो नृपति, नूषित नारी रूप ॥ शास्त्रविनोद कथा सरस, रीजवतो मन नूप ॥३॥ अनुक्रमें पद्मावती, नगरीतणे नद्यान ॥ कुमरी आवी नतरी, जाणे देव विमान ॥४॥ नारीरूप त्यजीकरी, सुतम संध्याकाल ॥ आव्यो मंदिर आपणे, लब्धलक नूपाल ॥५॥ | ॥ ढाल ॥ आग्मी शहेरनढुं पण सांकडं रे॥ एदेशी ॥ अथवा एणी अवसरें तिहां मुबर्नु । रे॥ एदेशी॥ राजमंदिर राजानणी रे, आव्यो देखी लोक रे ॥ पुरयाइ जुओ, रलीयायत सहुको श्रया रेलाल ॥जेम रविदेखी कोकरे॥ पु० ॥रा ॥१॥ए आंकणी॥शेठ सामंत सुमंत्रवी रे, लागा। आवी पाय रे॥ पुण् ॥ पुरमांहे ओत्सव भयो रेलाल, नलें पधारया राय रे ॥ पु॥ | रा॥२॥ राजा मंत्री आगलें रे, सघलो कहयो वृत्तांत रे॥ पुण्॥ नक्तिकरी सहुसाथनी रेलाल, नोजन करयां बहु नांत रे ॥ पु॥रा ॥३॥शुनमुहूरत लगने नले रे, कुमर परण्यो l राय रे ॥ पु०॥ मनश्वा सफली थ रेलाल, पुण्यतणे सुपसाय रे ॥ पुण् । राण॥४॥ पद्मश्री श्रीसारखी रे, पुरुषोत्तम सादात रे ॥ पु० ॥ विषयतणां सुख नोगवे रेलाल, नवि जाणे दिनरात रे॥ पु० ॥रा ॥ ५ ॥ सिंहसुपन दीठो हतो रे, गरन समय अन्निराम रे ॥ पुण् ॥ पद्मश्री पुत्र जनमीयो रेलाल, पुरुषसिंह दीयुं नाम रे ॥ पुण॥रा॥६॥ पुत्र जनम राजा घरें रे, वागा ढोल नीशान रे ॥ पु॥ वांटी पुरमां वधामणी रेलाल, गोलन्नीलां सुप्रमाण रे॥ पुण् ॥ रा ॥७॥ शोल शणगार सजी करी रे, नाचे नवनव पात्र रे॥ पु॥ गावे गीत सोहामणां रेलाल, कुमरतणी पडे यात्र रे ॥ पुरा ॥८॥घर घर तोरण बांधीयां रे, घर घर वलीवरमाल रे ॥ पु० ॥ घर घर REनत्सव अतिघणा रेलाल, नलें आव्यो नृपवाल रे॥ पुण्॥रा ॥ए ॥ आनंद राजा पामीयो रे, Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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