SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीश नुवनमें एहवी कन्या, कोइ नही कृतपुन्याजी ॥ १५ ॥ विद्या नणी कुमरी नल्लासें, बे तापसणी बतापतयारस्थान पासेंजी ॥ नणी गुणी सरसतिनें तोलें, मधुरवचन मुख बोलेजी ॥ १६ ॥ एहवी सांजली तेहनी ॥४॥ वाणी, सुवर्णदान दीयुं जाणीजी ॥ तेह स्वरूप राजाने आगे, जई कां मनरागेंजी ॥ १७ ॥ पांथ sd वृत्तांत सुणी राजापण, मनमां हरषित पायेजी।कौतुक जोवा नृप नमाह्यो,राज मंत्रीने नलायोजी valn १७ ॥ सुपन सत्य निज अचरिज पामी, चाल्यो नत्तम नर स्वामीजी ॥ वायुतणीपरे न रहे साह्यो, जोवा कुमरी नमायोजी ॥१॥ स्थावरजंगम तीरथ वाटें, वांदे नृप गहगार्टेजी ॥अनुक्रमें INIनगरी पामी ख्याली, थई जिनहर्ष खुशालीजी ॥२०॥ ॥ दोहा ॥ तिणीनगरी नद्यानमें, मणिनो महेल अनूप ॥ देवन्नुवन सरिखो रच्यो, पुत्री कारण नूप ॥१॥ तहां कुमरी दीठी नृपें, बे तापसणी पास ॥ राजा मनमां चिंतवे, ऐऐ पुण्यप्रकाश ॥ २ ॥ केए जगदानंदिनी, केसी लावण्य सुगेह ॥ केतुपूर्णानिधान , काम नृपतिनुं गेह ॥ ३॥ के अपवर आकाशथी, आवी जोवा ख्यालोके तो कोश्क किन्नरी, आवी ईहां चाल ॥४॥ अथवा हुं आव्यो alsहां, नली थई ए वात ॥ जे सुपनें दीठी दुती, ते दीठी सादात ॥ ५ ॥ ढाल ॥ पांचमी ॥ गलिनी देशी ॥ उठी नावना मन धरो ॥ एदेशी ॥ | राजकन्या निजघर गइ, तापसणी पासे थई, तन्मयी, शास्त्रकथा करि नवनवीए ॥ तेणे अवसर Pal नृप आवीथो, पुष्प पाणि सोहावियो, नावि बेगे आगल गुण स्तवीए ॥ १ ॥ राजाने देखी करीnen तापसणी हरखें नरी, तनुसिरी, गंगाजल जिम निरमली ए॥ तापसणी नृपनें कहे, कहेनें ववतुं alकिहां रहे, गुण वहे, विनयतणो तुं वलि वली ए ॥२॥राय प्रमोद धरी करी, कुसुम सुगंधी कर। Jain Educ a tional For Personal and Private Use Only ww m orary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy