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________________ वीश ॥२५॥ लोप्यो वचन न तासजी ॥ जाणो तेम थाओ पण एहनी, किम मेटुं अरदासजी ॥ तुं ॥ १० ॥ अनित्यशरीर थकी जो न होवे, किणहीनों नृपगारजी । तो जीवीनें शुं तेणे कीधुं, मारी धरती नारजी ॥ तुं ॥ ११ ॥ सचिव वचन अवहेली चाल्यो, निशि योगी नें सार्थेजी ॥ प्रेतवनें एकाकी पोहोतो, खमगग्रही निजहाथेंजी ॥ तुं० ||१२|| होम सामग्री सघली करीनें, राजानें कहे एमजी ॥ एक मृतक जर प्राण नरेसर, कारज याये जेमजी ॥ तुं ॥ १३ ॥ तास वचन सुणी नूपति चाल्यो, पुरि परिसरें निरखंतजी ॥ साहसीक तरु शाखालंबित, दीगे मृतक महंतजी ॥ तुंणा१४॥ खरुगायें बंधन बेदीने, नाखे न परे तेहजी ॥ तीनवार राजा रजु बेखो, देवाधिष्ठित देहजी ॥ तुं ॥१५॥ त्यारें नृप वृक्ष नपर चढियो, नतारेवा तासजी ॥ पुण्योदयथी सुर नृप कुलनी, जाखे वचन विलासजी || तु ॥ १६ ॥ पर नपगारी तुं हितकारी, जगततणो आधारजी ॥ तुजनें मारी कनक पुरुष ए, करशे एह विचारजी ॥ तुं ॥ १७ ॥ सावधान ते माटे थाजे, रहेजे तुं हुशियारजी ॥ ॐजाप एथी योगी जालें, धूम वरण श्राकारजी ॥ तुं ॥ १८ ॥ देव वचन साधुं चित्त धारी, राय थयो सावधानजी ॥ मृतक लेइ योगीनी पासें, श्राव्यो तिदां राजानजी ॥ तुं ॥ ११० ॥ स्नानकरावी जलशुं शबनें, पूज्यां तेहनां अंगजी ॥ मनमांहे बीहे नही केहथी, नृप जिनहर्ष अनंगजी ॥तुं ॥२॥ ॥ दोहा ॥ Jain Educationa International DDDDDIS | ॥२५॥ खगदी दक्षिण करें, अगनि कुंरुनी पास ॥ बेो कपटी चुपबनी, चिंते पूगी आस ॥ १ ॥ विद्यानो योगी करे, अष्टोत्तर शत जाप ॥ ध्यानलीन मनमौनशुं, होमे वस्तु सपाप ॥ २ ॥ पाणिपद्मशुं नृप तदा, अभ्यंजे शबपाय || जालस्थल योगीतणे, धूम तेज देखाय ॥ ३ ॥ संभारयो For Personal and Private Use Only स्थान‍ www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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