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________________ वांदी बेगे आयरे॥ गुण॥ए॥ गुरुनी सांजलि देशना, ॥गुण॥प्रतिबुझ्यो नरराय रे॥गुण्॥ नावें समकित आदरयुं ॥ गुण ॥ मिथ्या दूर पलाय रे ॥ गुण ॥ १० ॥ कीधी धर्म प्रनावना ॥ गुण महिमा नगर मोकार रे ॥ गुण ॥ सशुरु धर्म दीपावियो । गुण ॥ प्रतिबोध्या नर नार रे ॥ गुण SElu ११ ॥ म्लेच्चकटक दुर्जय तदा ॥ गु० ॥ आव्यु तिहां अपार रे॥ गुण ॥ कल्पांतानल सारिखं ॥ Salगुण ॥ देखी रायतिवार रे ॥ गुण ॥ १२ ॥ कृपाप्रपा प्रनो सान्नलो ॥ गुण ॥ (कृपाप्रन्ना इति पागंतरे ) तुमने कहुँ विचार रे॥गुणामुज सामान्य प्रजातयो॥गुणायाशे हवे संहार रे॥गुण॥१३॥ जय थाशे पुण्यवंतनो ॥ गुण ॥ सूरि कहे महाराज रे ॥ गुण ॥ करवो धर्मविशेषश्री ॥ गुण ॥ धर्मे कष्ट पलाय रे ॥ गुण ॥ १५ ॥ दीधी गुरु आशातना ॥ गुण ॥ पुण्यवंत प्रबलनरिंद रे॥ गु० ॥ दधि नफर वधामणं। ॥ गु० ॥ रचितांजलि सानंद रे ॥ गु० ॥ १५ ॥ स्वामी म्लेच्या सेनाग्रणी ॥ गुण ॥ मरण लघु अद्यरात रे ॥ गुण ॥ सेना नाठी यावनी ॥ गुण ॥ संनलावी तिणे वात रे ॥ गुण ॥ १६ ॥ सुणी नृप रलियायत अयो॥ गुण ॥ लागो श्रीगुरुपाय रे ॥ गुण ॥ नगर करावि वधामणी ॥ गुण ॥ जिनधर्मोन्नति थाय रे ॥ गुण ॥ १७॥ तिहांथी नोगपुरे वलि ॥ गुणा आव्या मेरुप्रन्न सूरि रे ॥ गुण ॥ साधुतणे परिवारसुं ॥ गुण ॥ नूरिमहातमपूरी रे ॥ गुण ॥१॥ आपे अनोपम देशना ॥ गुण ॥ सुणे सहु समुदाय रे ॥ गुण ॥ आद्य स्वर्गपति आविने, ॥ गुण ॥ प्रणम्या श्रीगुरुपाय रे॥गुण ॥ १५ ॥ कर जोमी बहु नक्तिसूं ॥ गुण ॥ गुणस्तुति करे । सूरिंद रे ॥ गुण ॥ श्रीजिनेश शासन तणी ॥ गुण ॥ नन्नति करे मुनींद रे॥ गुण ॥ २०॥ तीर्थकर आगले होशे ॥ गुण ॥ सुकृत सागर एह रे ॥ गुण ॥ सुरनरिंद पग पूजशे ॥ गुण ॥ धरशे एहसुं नेह रे ॥गुण ॥१॥ चरण कमल एहनां नमे ॥ गुण ॥ दुकृत जाए तास रे ॥ गुण ॥ जन्म Jain Edu a tional For Personal and Private Use Only
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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