SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 265
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बोधीया सहु, दृष्टिवाद प्रमाण रे ॥क ॥२०॥ तिहां महती जैनमतनी, थइ महिमा खासरे ॥ मेरुप्रन्न जिनहर्ष मुनिना, साधुतणे परिवार रे॥ क० ॥ १॥ सर्वगाथा ॥ ७॥ ॥दोहा॥ महिमासागर सूरिवर, तिहाथी कीध विहार ॥ आगमरीतें चालतां, साधुतणे परिवार ॥१॥ आव्या पुरिये गणपुर, महाकवीश्वर ख्यात॥ नगरमांहे सघले थर, लोक करे मीलिवात ॥२॥ आचारज मोटा कवि, विद्याना नंमार ॥ ए सरीखो को नहीं, बीजो इणसंसार ॥३॥ निर्मलध्वज नामें तिहां, वादीश्वर सुणी तास ॥ गुरुआगल रहेवा तणो, कीहां पाम्यो अवकाश ॥५॥ पंमित सह हराविया, न रह्यो कोश अजित ॥ कर मगनी परें रह्यो, अथवा नाव्यो चित्त ॥ ५ ॥ तांलगी alमयगल मद करे, तां लगी करे अवाज ॥ हाथ लेश नूंआफले, जो न आवे मृगराज ॥६॥ जां लगी मुज दीठो नहीं, तां लगी ने प्रतिकूल ॥ पण मुज देखी नासशे, जिम वाये अर्कतूल ॥ ७ ॥ वाद करीने हार, करी राखं निजदास ॥ राय नणी आवी कहे, अखर्वगर्व आवास॥७॥ भारति नुवनें जश् करी, पंमित सयल समद ॥ मेरुप्रन आचार्यसुं, करवो वाद प्रत्यद ॥ए॥ वाद करी आचार्यसुं, मांजु रसना खाज ॥ तेई तुमने साखीया, तिहां पधारो राज ॥१०॥ ॥ ढाल थी॥हामाना गीतनी देशी॥ __पंमित ले साधे रे, मनमोहनराया ॥ तुजपासे आया, करजो अम न्याया ॥ अधिको ओगे रे मत केहने गयो, आव्यो वागदेवी गेहरे ॥ म ॥ गर्वधरतो विद्यानो घणो रे ॥१॥मुनि पतिने तम्या राय रे ॥म ॥ आव्या तिहारे मद मूकी करी रे, मंत्री शेठ सामंत रे ॥ म ॥ नगर श्रावक साथे परवरी रे॥२॥ गुण आगर नगवंत रे, म०॥ देखी रे निजगृह गुरुने प्राविया रे ॥ सुर Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy