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स्थान
वीश
ज्ञान महातम सूर ॥ नवसमुश्तारण नणी, ज्ञान यान गुणपुर ॥ ७ ॥ सुदम बादर लोकमें,
जाणे सघला नाव ॥ ज्ञान शीखवो तेनणी, जे होय चतुरा राव ॥ ७॥ अपूर्व ज्ञान ग्रहेवा थकी, ११०॥ जिनवर पद पामंत ॥ सागर चंतणी परे, नुवनानंद महंत ॥॥
॥ ढाल पहेली ॥ चोपा ॥ इणदिज नरतसुक्षेत्र मोझार, नगर मलयपुर बहु विस्तार ॥ अमृतचं तिहां दितिपाल, शीतल अमृत चंद निहाल ॥ १॥ स्वाते ते राजाने दोय, अतिवल्लनधी वल्लन होय ॥ परनारी केरो परित्याग, परप्रार्थितपर पूर्ण सुराग ॥ २ ॥ चंकला जिम गजली, चंकला नामें निर्मली ॥d
पद्मनेत्रने अंग पवित्र, एहवी नृपने घरे कलत्र ॥३॥ तेहनो सागरचं कुमार, नत्तमवंशतको valशृंगार ॥ अद्भुत रूपकलागुणधाम, जेहने अंगे वसे अन्निराम ॥ ४ ॥ लक्षणलकित जास शरीर,
सोहे जाणे आंवे कीर ॥ लोके सहुने वहालो घणो, मान वली रायराणीतणो॥ ५ ॥ अनुक्रमें वाई
मान सुविचार, पुरयोदयथी राजकुमार ॥ यौवन याम्यो गुणनी खाण, विश्वदृष्टिमृग कानन जाणsal Bilu६॥ कीयो लघुतामें विद्यान्यास, कीधो सारदायें मुखमां वास ॥ अद्भुत तेजतणो नंमार, जाणे Salअनिनव इं अवतार ॥ ७॥ सौन्नाग्यामृत सागर नलो, सागरचंद्र कुमर कुल तिलो॥रुप निहाली
मन गहगहे, कण कण नारी विस्मय लहे॥७॥ राय निहाली सुगुण निवास, युवराज पद दीgs
तास ॥ गुण वहालो लागे सहुलणी, गुणथी प्रनुता पामे घणी ।। ए ॥ गुणश्री लहीयें आदरvailमान, गुणथी मान दिये राजान ॥ गुणथी मातपिताने गमे, गुणवंताने सहु को नमे ॥१०॥
सहुनो तेह करे नपकार, सुकृति पुंगव राजकुमार ॥ एकदिन सुत आगलें सही, किणश्क पंमितें आर्या कही ॥ ११ ॥ देश तास हेम पंचशती, ते लीधी आर्या गुणवती ॥ मनमें चिंते एह अमूल,
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