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स्थान
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अक्षत प्रमुख, फल सोपारी धूप ॥ जे पूजे जिनबिंबनें, आणी नाव अनूप ॥ ५ ॥ वस्त्र पवित्र
पहेरी करी, लाख जपे नवकार ॥ ते तीर्थंकर पद लहे, पहोंचे मुक्ति मोकार ॥६॥नामाकृति व्य Kalनावजिन, जेह जपे नवकार ॥ कलेश तेहगति चारना, पामे नही निरधार ॥ ७॥ दिव्य वस्तु लेश
करी, पूजा अष्ट प्रकार ॥ करे तेह पूजा लहे, त्रिन्नुवन मांहे नदार ॥ ७॥ जेहवी मीठी सेलमी
साकर आंबा खातेहथी मीगं सुख लहे, अधिकां अधिकां नाख॥णाक्ष नाव आनंदशें, नमसValकरो जिनराय ॥शकस्तव आदिक करी, जिनवरना गुण गाय ॥१०॥ देवपाल जिम नोगवी, राज्यतणा सखन्नोगातीर्थकर पदवीलही, पामि मुक्ति संयोग ॥११॥
ढाल बट्ठी __ चोपाईनी देशी ॥णहीज नरत सुक्षेत्र मोकार, नगर अचलपुर श्रीअवतार ॥ लोक सुखीन । दाता घणो, यश व्याप्यो जगमा तेह तणो ॥१॥ राजा सिंहरथ तिहां राजीयो, राय गुणेकरी ते गाजीयो॥ न्यायें प्रजापाले सही, गाले अन्याय न्यायने ग्रह। ॥ ३ ॥ दास कीया वैरी सपराण, को न लोपे जेहनी आण॥ हय गय रथ पायदानो धणी, तेहनें घर लखमी घणी ॥ ३॥ कनक-Na माला नामें रा।
। रागिनी, शीलवती महोटा नागनी ॥ विश्व तीनना गण जे कठ्या, जास शरीरं आवास Saरया ॥४॥ देव तणे नपचारें करी, पुत्री एक थइ गुण नरी ॥ मनोरमा नामें गुणवती, कामी Raजननां मन मोहती ॥५॥ जाणे लखमीनो अवतार, जेहनां रूप तो नही पार ॥ नागकुमारी
अपनर रंन, जेदने देखी लहे अचंन्न ॥६॥तिणपुर शेठ वसे जिनदत्त, जेहने घरे ने परिगल वित्त जाणे प्रत्यक्ष धनद समान, राजावं पण बहुमान ॥ ७॥ सम्यक्दृष्टि माहे प्रधान, नपगारी आपे बहु दान ॥ जेहने घर नित देदेकार, दुर्बल दुखियानो आधार ॥॥ देवपाल तेहनें घरे दास, नूपाला
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