SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 198
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीशo ॥४৷৷ CECECPLX XXX ० ॥ १५ ॥ मुक्ति किवारे श्रमन्नणी, थाशे कहो जगदाधारो रे । इस हिज नवें मुनिवर तुमे, पोहुचशो मुक्तिमोकारो रे ॥ ० ॥ २० ॥ वचन न थाये अन्यथा, ज्ञानीनो किाही काले रे ॥ त्र मुनी निश्चय कर्यो, जिनहर्ष ए बीजी ढाले रे ॥ श्र० ॥ २१ ॥ सर्वगाथा ॥ ५२ ॥ ॥ दोहा ॥ वर्ज्या मूकी करी, गृहस्थ थया अणगार ॥ विषयतणां सुख जोगवे, सुंदर परणी नार ॥१॥ नोग कर्म वलि कय श्रये, प्रांते पातक कर्म। आप आपणो निंदता, आयो मनमें धर्म ॥ २ ॥ त्रणें चारित्र आदर्य, शुक्ल ध्यान प्रमाण । त्रपये मुनियें केवल लधुं, पाम्या पद निर्वाण ॥ ३ ॥ सात कर्मनी स्थिति यदा, कोकाकोमि प्रमाण ॥ थाये त्यारे धर्मरुचि, धर्मविषे तुं जाण ॥ ४ ॥ ताहरो पण सुत अनुक्रमे, इसाहिज जन्म मोकार ॥ कीण होशे जव नाव मल, लदेशे धर्म विचार ॥ ५ ॥ त्रीजे नवे इहांथी हुशे, तुजसुत पुण्य प्रभाव | जिनवर होशे विदेहमें, जवजल तारण नाव ॥ ६ ॥ ॥ ढाल त्रीजी ॥ तो चढियो घण मानगजें ॥ ए देशी ॥ गुरुना वचन सुखी करी ए, प्रतिबोध्यो नरराय तो ॥ उत्सव करी निजपुत्रने ए, राज दियो | समुदाय तो ॥ १ ॥ मुक्ताफल जेम नजलुं ए, लीधो संयम सार तो ॥ पाप गमे जव कोमिनां ए, यया पुष्करतपधार तो ॥ २ ॥ चारित्र पाली नजलुं ए, धरतो निर्मल ध्यान तो ॥ कर्म खपावी घातियां ए, पाम्यो केवलज्ञान तो ॥ ३ ॥ कनककेतु राजा हवेएपाले न्यायें राज तो ॥ तेज प्रतापें आकरो ए, नमिया वैरिवाज तो ॥ ४ ॥ प्रजाती परे निज प्रजा ए, पाले टाले दुख तो ॥ राजलीला रमणीतणां ए, श्रहनिश जोगवे सुख तो ॥ ५ ॥ तीव्र दाहज्वर अन्यदा ए, पीड्यो राय शरीर तो ॥ तप्त तवा जिम तनु तपे ए, बांटे चंदन नीर तो ॥ ६ ॥ नयले नावे निश्मी ए, दुःख Jain Educationa International For Personal and Private Use Only EX DDDDDDDD स्थान ॥४॥ www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy