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________________ श Rallसुकृत नाफत पातक खाण ॥ जो मुज नपरे करशे कोप, तो मुज जीवित करशे लोप ॥ १ स्थान देशे मरण अकाले सहि, धर्म गरण पण श्राशे नहि ॥आरति रुझ्ध्यान अवगही, प्राण जाशे न्शा Silsर्गतिमही ॥ २० ॥ ते माटे इहां रहेवू नहि, मुह लेने जाश सहि ॥ जानं किण श्क बीजे. गम, सुकृति आगम थाए ताम ॥२१॥ (हवं चिंति विशुद्धातमा, नारी घरनी मूकी तमा || चाल्यो देशांतर एकदा, सकाशी पुर पुहतो तदा ॥ १२॥ मनमें शेठ विचारे सुं, हवे मुजन्नय नहि Sil को किसुं ॥श्म जाणीने नगर निवेश, कहे जिनहर्ष कियो प्रवेश ॥ २३ ॥ सर्वगाथा ॥ ५ ॥ ॥दोहा॥ नानु नामे तिहां शेठियो, रमाधाम अन्निराम ॥ वसे एक व्यवहारियो, सहुमे झाझी माम ॥isal Salu१॥ नानुमती तसु नारती, कंतन्नणी सुखकार ॥ दिग्गजनी परे दीपता, अंगज तेहने चार Mal sal॥ २ ॥ विद्युतलता पुत्रीप्रवर, विद्युल्लता चूति जास ॥ विद्याअनेक कलायुता, बहु विज्ञान विलास Sealln ३ ॥ बापन्नणी वाली घj, कन्या जीवन प्राण ॥ वरप्राप्ति मोटी अश, चिंते शेठ सुजाण Salin y ॥ वर जोन ए सारिखो, रूपवंत गुणवंत ॥ हाटे आव्यो तेटले, मदन भणी निरखंत ॥ ५ ॥ ॥ ढाल ३ जी॥ आज प्रांगणमे पियु रमियो । रस ले विमलपुर नमियो, आज एकलडे वीसमियोरे चांदलिया ॥ ए देशी ॥ घर ले आव्यो alबोलाइ, बहु आदर चित लाइ ॥ ए मिलियो सबर जमाइरे, गुणनरिया ॥ १ ॥ गोत्रजें सहुsaleणामें कहियो, तुज घरमांहे जे रहियो ॥ पुत्री देजे गहगहियो रे ॥ गुण ॥ २॥ ते शेठ वचन ॥ सांन्नली, मुज सकल मनोरथ फलियो, वर जोतां आवी मिलियोरे ॥ गुण ॥ ३॥ बहु नत्सव करी| |परणा, पुण्ये वर कन्या पाश् । जुवो पुण्यतणी अधिकारे ॥ गुण ॥४॥ नव नारीसुं सुख लोगवे Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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