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स्थान
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वीणापुरुषोत्तम लक्ष्मीपरें रे, ते दयितासु राय ॥ प्रीति माने अन्य नारीसुं रे, विरतो नावे दाय ॥ नन
॥ १५ ॥ चननाणी तिहां अन्यदा रे, समवसर्या गुणनूर ॥ बहु मुनिवर परिवारसुं रे, श्रीचक्रेIsalश्वर नूर ॥ न ॥१७ ॥ मेरु शृंग जिम नजलुं रे, हेमसिंहासन तुंग ॥ तस आसन कीधु सुरे रे, Naबेग सूरी सुरंग ॥ न ॥ १७ ॥ वनपालके वधामणी रे, दीधी नृपने आय ॥ राजा मन हर्षित
थयो रे, आनंद अंग न माय ॥ न ॥ १७ ॥ हय गय पायक परीवर्यो रे, शेठ सामंत संघात ॥ कानगर लोकसं चालीयो रे, इंऽ जाणे साक्षात ॥ न॥१७॥ धर्मतणा जेरागियारे. गरुपरें हित जास ॥ ते जिनहर्ष आव्या सहु रे, धरता परम नलास ॥ न ॥ २० ॥ सर्वगाथा ॥ २६ ॥
॥दोहा॥ मारगमां नृप आवता, दायक नयनानंद ॥ कायोत्सर्ग रह्या मुनि, शमसिंधु सुखकंद ॥ १ ॥Sal देखी कनकनी दीधिति, सारीखा मुनि दोय ॥ चरण नमी गुरु पुबिया, नृप मन विस्मय होय Nain५ ॥ युग्म मुनीश्वर तुमतणा, तेजें झलके काय ॥ यौवनमा व्रत आदर्यु, किण कारण मुनिvilराय ॥ ३॥ गुरु भाखे महाराज सुण, वैराग्यकारण एह ॥ सत्यावीश गुण साधुना, धारक
समता गेह ॥ ४ ॥ दुष्कर तप आचरी, कर्म खपावा काज ॥ कायानी ममता तजी, महोटा ए ऋषिराज ॥ ५॥
॥ ढाल जी ॥ चोपाश्नी देशी ॥ Isa नामकुशस्थलपुर सुखदाय, शेठ मदन श्रेय सदन कहाय ॥ नगरमांहि जेनो विश्वास, राजा
मादिक पण माने तास ॥१॥तेह घरे नारी वली दोय, चंमाहितीय प्रचंमा होय॥मत्सर मांहो मांहे। Salघणो, थानक बे महापातक तणो ॥२॥ दिनप्रते कलह संघाते प्रीत, मांहो मांहे मले नहि चित्त ॥
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