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________________ वीश० ॥४॥ H मंगलया ॥ २ ॥ दोहा ॥ वास धूप दीपादिनी, पूजा करे प्रधान, नैवेद्य मूके आागले, आरात्रिक बहु मान ॥ ३ ॥ दूध दहीं घृत आदिके, खाजां मोदक सार, चंदन श्रादिक नाजनें, प्रशन पूज अवधार ॥ ४ ॥ गोल प्रमुख खादिम सहू, सोपारी फल पत्र, फूल पगर दीपक करी, स्वादिम पूज विचित्र ॥ २ ॥ लवण नीरहीयारती, नट वाजित्र गंधर्व ॥ जे कीजें जिन आगलें, अग्र पूजा ते सर्व ॥ ६ ॥ ढाल चोथी | बेटी नली रे जणी तुं आज ॥ए देशी ॥ श्रावक करेजी, पूजा विधिनो जाण ॥ लवण नीरनी आरती जी, मंगल दीपक आण रे? || निविका पूजो श्री जिनराय || जे पूजे जिनरायने जी ते जिन सरिखा थायरे ॥ भणाए कल । ॥ इव्यपूज इणि परें करीजी नावपूजा करेदेव || निस्सिही निज मुख नचरीजी, नूई पूंजि जली ठेव रे ॥ ज० ॥ ॥ २ इरियावदीया पक्किमी जी, विधिशुं करी रे विचार ॥ मुझ त्रिक विधिशुं करि जी सुधा दश अधिकार रे || || ३ || नदरे कुपर थापीयेंजी, कर करी कोशाकार | माहोमांदे रची आंगुली जी, योग मुझ सुविचार रे ॥ ज० ॥ ४ ॥ चार अंगुल आगल सही जी, पाबल प्रांगुल तीन, राखे चरण इसी परें जी जिनंमुद्रा लयलीन रे ज० ॥ ५ ॥ कर गर्जित करी सारिखा जी, जोगीजें निज जाल ॥ मुक्ताशुक्ति जालीयें जी, मुझ ए सुविशाल रे ज० ॥ ६ ॥ निज पंचांग नमामीने जी, विधिशुं वांदे देव ॥ नत्तम इलि परे साचवे जी, श्रीजिनवरनी सेव रे ज० ॥ ७ ॥ नव्य परव दिवसें रचे जी, मन धरी अधिक जगीश ॥ शुचि एकवीश प्रकारनी जी, पुजे श्रीजगदीश रे ॥ ज० ॥ ८ ॥ अष्ट प्रकारी नित करे जी, नत्तम वस्तु संयोग ॥ जे जे प्रभुनें चढावी यें जी, ते ते लहीयें भोग रे ॥ ॥ ए ॥ जश्ये चैत्य जुहारवा जी, ग्राम तथा वली जेद ॥ अशुचि XXXXXXXX Jain Educationa International For Personal and Private Use Only स्थान ॥धा www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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