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________________ कोप्यो, धननी करवा घात रे ॥ ना ॥ ए ॥ एक दिन रात अंधारमी, करी राख्यो संकेत रे ॥ राख्या धावमिया विचे, धनने हवा हेत रे ॥ नाश् ॥ १० ॥ राय तेमाव्यो धन नगी, जावा नट्यो जाम रे ॥ धरण कहे मुज मोकलो, ९ जाश्श तुज गम रे ॥ नाश् ॥ ११ ॥ अनुमति ले धनतणी, चाल्यो धरीय नल्लास रे ॥ धावडिआए तत्कण तिहां, मारी नाख्यो तास रे ॥ना KA १५ ॥ यतः ॥ षन्निर्मासैस्तथापदैः षन्निरेव दिनैः किल ॥ अत्युग्रपुण्यपापाना मिदैव जायते फलम् ॥ १ ॥ अर्थः-आजगतने विषेज अति नग्रएवां पुण्य पापर्नु फल, उमासे तथा गर alपखवामियामां के उदिवसोनी अंदरज खचित थाय ॥१॥ पूर्वढाल ॥ नरके गयो मरि सातमे, Ralपापी पोहोतुं पापरे ॥ जेहवां कर्म करयां हता, तेहवा लह्या संताप रे ॥ना ॥ १३ ॥ धन निक कलंक पुण्यातमा, नपकारी जग जोय रे ॥ कष्ट टल्युं मरवा तणुं, धर्मथकी जय होयरे ॥ भात San १५ ॥ तेह स्वरूप जाणी करी, आव्यो मन संवेगे रे ॥ मात पिता तेमावियो, सहु आव्यां मलि वेगे रे ॥ नाइ ॥ १५ ॥ मलयकेतु निजपुत्रने, राखि जनकनी पासे रे ॥ नुवनप्रन्न मुनिवरकने, दीक्षा लीधि नल्लासे रे॥ नाइ ॥ १६ ॥ अंग नपांग सहू लण्या, पाले साधु आचार रे ॥ नाव साधु शुद्धातमा, समिति गुप्ति आधार रे ॥ भाइ ॥ १७ ॥ निर्वाण साधक योगने, साधे अनिशsa जेह रे ॥ सम सघला प्राणीविषे, साधु कहीजें तेह रे ॥ नाइ ॥ १७ ॥ संयुक्त दात्यादिक गुणे, नूषित गुण मैञ्यादि रे ॥ सदा चार तेहने, नावे साधु अप्रमादी रे ॥ ना ॥१॥ सर्वगाथाए। ॥ दोहा ॥ सूत्र अर्थ जाणे सहु, करे ग्रामादि विहार ॥ धनऋषि सुगियो अन्यदा, गुरुमुख एह विचार॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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